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Shakti Ki Manyata   

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Author Dilip Sinha
Features
  • ISBN : 9789353226855
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Dilip Sinha
  • 9789353226855
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 368
  • Hard Cover

Description

विश्व शांति का अनुरक्षण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का सर्वाधिक शक्तिशाली निकाय ‘सुरक्षा परिषद्’ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपनी स्थापना के काल से कभी बाहर नहीं निकल पाया। इस युद्ध के विजेता अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस ने अपनी स्थायी सदस्यता और वीटो की शक्ति के साथ इस पर नियंत्रण बनाए रखा। उनके पारस्परिक टकरावों ने शीत युद्ध के दौरान परिषद् को निर्बल बना दिया तथा उसके उपरांत उनके सहयोग से विवादास्पद सैन्य काररवाइयों को अंजाम दिया गया।
यह पुस्तक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग के मूल को तलाशती है तथा अंतरराष्ट्रीय कानून में सुरक्षा परिषद् की शक्तियों की आधारशिला की संवीक्षा करती है। यह स्थायी पाँच देशों द्वारा अपनी वैश्विक प्रधानता को सकारात्मक रूप से सुदृढ़ बनाने और शक्ति के उनके प्रयोग को वैध बनाने के लिए परिषद् का इच्छानुसार प्रयोग करने की समालोचना करती है। इराक, यूगोस्लाविया और लीबिया जैसे देशों में उनके द्वारा लागू सिद्धांतों और काररवाइयों ने एक उत्तरदायी निकाय के रूप में परिषद् के विकास को बाधित किया, जो एक वैश्वीकृत विश्व का भरोसा अर्जित कर सकती थी। 
यह पुस्तक वृत्तिकों और शोधार्थियों के लिए पठनीय है, ताकि वे सुरक्षा परिषद् और उसमें सुधार करने की उसकी विफलता को भलीभाँति जान सकें।

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अनुक्रम

संक्षिप्ताक्षरों की सूची —Pgs. 7

प्रस्तावना —Pgs. 9

1. सामूहिक सुरक्षा —Pgs. 21

2. अंतरराष्ट्रीय संगठनों का उदय —Pgs. 40

3. संयुक्त राष्ट्र का मंतव्य —Pgs. 56

4. सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन : संयुक्त राष्ट्र चार्टर —Pgs. 69

5. उद्घाटक का सौभाग्य : प्रारंभिक सफलताएँ —Pgs. 90

6. विभक्त राष्ट्र —Pgs. 98

7. छद्म प्रारंभ : कोरिया प्रकरण —Pgs. 126

8. नवाचारी समझौता : शांति कायम रखने का अभियान —Pgs. 148

9. शीत युद्ध के बाद सैन्य कार्रवाई —Pgs. 165

10. प्रतिबंध —Pgs. 192

11. नए जनादेश —Pgs. 201

12. सैन्य कार्रवाई की चार्टर-संगतता —Pgs. 232

13. सुरक्षा परिषद् और अंतरराष्ट्रीय कानून —Pgs. 255

14. स्थायी पाँच देशों का अस्थायित्व —Pgs. 275

15. युद्ध, जिन पर सुरक्षा परिषद् कार्रवाई न कर सका —Pgs. 295

16. सुरक्षा परिषद् के सुधार —Pgs. 315

निष्कर्ष —Pgs. 334

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव —Pgs. 343

संदर्भ-ग्रंथ-सूची —Pgs. 345

संदर्भिका —Pgs. 357

 

The Author

Dilip Sinha

दिलीप सिन्हा उपलब्धियों से भरे वर्ष 2011-2012 की अवधि में सुरक्षा परिषद् की अपनी सदस्यता के दौरान भारत के संयुक्त राष्ट्र मामलों के प्रमुख थे। वे जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के राजदूत रहे, जहाँ उन्हें 2014 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् का उपाध्यक्ष तथा दक्षिण केंद्र का उपसभापति चुना गया। सिन्हा ने लीबिया और सीरिया में व्याप्त संकट के संबंध में सुरक्षा परिषद् में तथा श्रीलंका के लिए मानवाधिकार परिषद् में भारत की प्रतिक्रिया को संचालित किया।
अपने राजनयिक जीवन के दौरान, सिन्हा ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के साथ भारत के संबंधों की अगुआई की तथा जर्मनी, मिस्र, पाकिस्तान, ब्राजील, बांग्लादेश और यूनान में अपनी सेवाएँ दीं।
दिलीप सिन्हा अब भारत में ही रहकर लेखन-कार्य करते हैं और व्याख्यान देते हैं।

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