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दैनिक जीवन में हम लोग हमेशा अपने आप से युद्ध लड़ते रहते हैं। ज्यादातर समय हम एक होने की बजाय बिखरे और टूटे हुए रहते हैं। इस तरह शांति चुपचाप हमसे दूर चली जाती है। शांति स्थापित करने के लिए दुनिया भर में विकासशील और विकसित देशों ने तमाम कोशिशें की हैं। इसके बावजूद मानवजाति बिना रुके टकराव और युद्ध में लगी हुई है। यह पुस्तक हमें शांति के रास्ते पर ले जाती है, ताकि वैयक्तिक स्तर से उठकर विश्व शांति की स्थापना की जा सके। कारण है—लोकोपकार की शुरुआत घर से होती है। हम देश में शांति स्थापित करने के बारे में कैसे सोच सकते हैं, जब हमने अपने आप के साथ शांतिपूर्वक रहना नहीं सीखा है?
सूक्तियों की शैली में लिखी गई यह पुस्तक न्यूनतम शब्दों में अधिकतम बात कहती है और कइयों के जीवन में भारी बदलाव ला सकती है। यह पुस्तक हमें जोरदार तरीके से उन मूल्यों की याद दिलाती है, जो सही अर्थों में दुनिया को स्थायी तौर पर शांतिपूर्ण बनाएँगे तथा जिसके केंद्र में व्यक्ति है।
शिक्षा :पी-एच.डी. (अंग्रेजी साहित्य)।
प्रकाशन :कार्निवाल ऑफ पीस : कुंभ हरिद्वारम् (कॉफी टेबल बुक), पीसेज टू पीस : टेकिंग लिटल स्टैप्स (संकलन), स्वामी विवेकानंद : द नोन फिलोसफर द अननोन पोएट (शोध कार्य), लाईफ ऑफ लव पोयम्स (समीक्षा)।
कृतित्व :11 वर्षों से पत्रकारिता और फीचर लेखन जिसमें डिस्कवरी चैनल पर इतिहासकार एवं पत्रकार के रूप में प्रस्तुति, ‘देहरादून लाईव’ समाचार-पत्र में स्तंभकार, केरल से प्रकाशित ‘कांजीक्रेशन’ पत्रिका में सह संपादक के रूप में कार्य। स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक के रूप में न्यूज एजेंसी आई.ए.एन.एस. और दोेहा-कतर से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘न्यू इरा’ में लेखन, ‘हिमाचल टाइम्स’ में ‘सर्मन्स ऑफ विवेकानंद’। ऑक्सफर्ड, मैक्गिल और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया जैसे सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में शोध-पत्र प्रस्तुति। विभिन्न राष्ट्रीय संगोष्ठियों में ‘भारतीय संस्कृति एवं योग’ विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुति।
सम्मान-पुरस्कार :‘गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान’, आई.आई.टी. रुड़की द्वारा सम्मान, लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड, रेड क्रॉस सोसाइटी चंडीगढ़ एवं रोटरी क्लब द्वारा मानवता की सेवा के लिए अवार्ड ऑफ ऑनर एवं ‘स्वामी विवेकानंद साहित्य-साधना सम्मान’।
संप्रति :हिंदुस्तान टाइम्स में संवाददाता एवं एक्सप्रेस इंडियन डॉट कॉम न्यूज पोर्टल की सलाहकार संपादिका।