₹400
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सरकार कराधान के समय शराब जैसी हानिकारक वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर उसके उत्पादन को हतोत्साहित करती है और समाज के लिए उपयोगी एवं कल्याणकारी वस्तुओं के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता (सब्सिडी) देती है। इसके बाद भी शराब का उत्पादन घटने की बजाय बढ़ता जा रहा है। उसके बावजूद जीवन को संकट में डालनेवाली महाबीमारी लोगों के बीच फैल रही है। इसलिए इस बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए शराबबंदी अत्यावश्यक है। यही कारण है कि बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने
30 सितंबर, 2017 को शराबबंदी का फौलादी फैसला लिया। शराबबंदी शब्द में ही अमृत छिपा है। अगर यह सफल हो गई तो बिहार में अमृत की वर्षा होगी।
नीतीशजी के इस ऐतिहासिक, क्रांतिकारी, अद्वितीय, बेमिसाल, बेहतरीन, सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक एवं फौलादी फैसला स्वागत योग्य है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। विश्वास है कि नीतीशजी की यह शराबबंदी न सिर्फ बिहार में सफल होगी, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करेगी।
दुनिया के न तो किसी देश ने और न ही किसी धर्म ने शराबखोरी करने की इजाजत दी है। 23 महापुरुषों के कथन मैंने शराबबंदी पर एकत्रित किए हैं।
__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
भूमिका—7
अपनी बात—11
1. शराबबंदी—एक फौलादी फैसला—21
2. शराबबंदी अभियान को जन-अभियान बनाने की जरूरत—23
3. शराबबंदी—एक सामाजिक मुद्दा—25
4. भगवान् बुद्ध और सम्राट् अशोक नशामुत मानव समाज के पक्षधर थे—28
5. शराबबंदी और गांधीजी का स्वतंत्रता आंदोलन—30
6. धर्मग्रंथ और शराब—38
7. शराब पीने और खरीदने की उम्र—42
8. शराब से नुकसान एवं हानि—44
9. शराबबंदी की पहल—47
10. नैतिकता के नायक : नीतीश कुमार—50
11. मुयमंत्री का संकल्प—53
12. अंतिम व्यति और शराबबंदी—55
13. नीतीश की नैतिकता और परिवारवाद—58
14. रोल मॉडल बनेगा बिहार—61
15. शराबबंदी के लिए महापुरुषों के कथन—62
16. शराबबंदी पर कानून—65
17. शराबबंदी के बाद की घटनाएँ—70
18. शराबबंदी के बाद बदलता बिहार, जन-जागरूकता के उदाहरण—76
19. महिलाओं की आवाज बने नीतीशजी—101
20. न्यायालय और शराबबंदी—107
21. सर्वे का सच—एक अध्ययन—112
22. या हिंदुस्तान शराबिस्तान बनेगा?—118
23. नीतीश कुमार की राष्ट्रीय पहल—120
24. नीतीशजी ने देश को आईना दिखाया—124
25. राष्ट्रीय स्तर पर शराबबंदी की आवश्यकता—128
26. गोपालगंज : शराबखोरी का वीभत्स रूप—133
27. आचार्य पवन को नोएडा में गोली मारी—137
28. नशीले पदार्थ की रोक का कानून—139
29. शराबबंदी की लहर गाँव हो या शहर—141
30. ताड़ी की जगह नीरा का उत्पादन—143
31. शराबबंदी पर लोक-संवाद—145
32. शराबबंदी पर सर्वदलीय बैठक—149
33. शराबबंदी पर रिपोर्ट कार्ड—152
34. मद्य-निषेध दिवस—154
35. शराबबंदी की दूसरी मुहिम 21 जनवरी, 2017 से—156
36. उपसंहार—158
37. शराबबंदी ‘अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा’—160
38. सार-संक्षेप—178
39. गई शराब आई खुशहाली—186
बिहार के जमुई जिला के दरखा गाँव, थाना सिकंदरा, प्रखंड इस्लामनगर अलीगंज में श्री धनेश्वर प्रसाद का जन्म 1963 में हुआ था। पटना विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् असम से अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में अध्यापन शुरू किया। वर्तमान में केंद्रीय विद्यालय, दानापुर कैंट में अर्थशास्त्र के अध्यापक हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय संगठन में अध्यापक के रूप में कार्य करते हुए इन्हें देश के विभिन्न राज्यों में जाने का मौका मिला। फलस्वरूप ‘विविधता में एकता’ के साक्षात् दर्शन किए। अबतक इनकी तीन रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। उसमें ‘क्या भारत फिर गुलाम होगा?’ (कविता-संग्रह), ‘जीवन परिचय’ (जीवनी) एवं ‘बंदरगाँव’ (कहानी-संग्रह), भारत सरकार, शिक्षा विभाग द्वारा अनुशंसित हैं। 100 से अधिक लेख एवं कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। ‘शराबबंदी : एक फौलादी फैसला’ इनकी चौथी रचना है।
सम्मान : अखिल भारतीय अंगिका भाषा सम्मान, बिहार सरकार (2003), महात्मा ज्योतिराव फुले सम्मान, दिल्ली (1998), पटना पुस्तक मेला में प्रथम स्थान (कविता प्रतियोगिता) 2009, कौटिल्य परिषद् सम्मान, पटना विश्वविद्यालय (1984), ‘युवा संसद्’ प्रतियोगिता में संसदीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार (1998) द्वारा प्रथम, ‘स्वच्छता दूत’ नामक एकांकी दूरदर्शन द्वारा चयनित एवं प्रसारित, 2016।