₹300
इस पुस्तक के माध्यम से आप यह सीख सकेंगे कि पोजिशनल ट्रेड में बड़ा मुनाफा कैसे बनाएँ और किस तरह शेयर के कारोबार से पैसे कमाए जा सकते हैं। आप स्वतः समझने लगेंगे कि आपको शेयर कब खरीदना है और कब बेचना है।
आप यह भी सीख सकेंगे कि किस तरह पैसे गँवाने के जोखिम के बिना आप अपनी पसंद के शेयरों को बड़ी मात्रा में संचित रख सकते हैं। शेयर के अधिक-से-अधिक चढ़ने के साथ ही पैसे कमा सकते हैं और किसी भी शेयर में बड़ी गिरावट से पहले ही न्यूनतम हानि के साथ बाहर निकल सकते हैं। साथ ही यह सीख सकते हैं कि किस तरह अपने पोर्टफोलियो को हमेशा फायदे में रखें।
आशा है कि यह पुस्तक आपकी मानसिकता में बदलाव लाएगी और निश्चित ही आप इस पुस्तक में दिए गए फॉर्मूलों के माध्यम से मनचाहा धन कमा सकेंगे।
शेयर मार्केट के गुरु और उसकी बारीकियाँ बतानेवाली ऐसी व्यावहारिक पुस्तक, जिसे पढ़कर आप अपने निवेश को बेहतर तरीकों से करके अधिक धन कमा पाएँगे।
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अनुक्रम
प्रस्तावना—5
आभार—9
1. चिंकी के सपने में अरविंद मिल्स की मल्टीबैगर कथा—13
2. चंदू और चिंकी से मेरी मुलाकात—16
3. किसी भी शेयर में निवेश व ट्रेडिंग का मेरा गुप्त फॉर्मूला—19
4. शेयरजीनियस निवेश फॉर्मूले का अरविंद लि. के शेयरों पर वास्तविक उपयोग—23
5. 19 सितंबर, 2005 से 19 सितंबर, 2006 के बीच क्या हुआ?—28
6. 19 सितंबर, 2006 से 19 सितंबर, 2007 के बीच क्या हुआ?—32
7. चिंकी की अरविंद के शेयरों में औसत वसूली—39
8. शेयर बाजार में वर्ष 2008 की सबसे बड़ी
गिरावट के दौरान क्या हुआ?—44
9. चंदू और चिंकी का तीन वर्षीय रिटर्न—53
10. श्री क-ख-ग की चिंकी को सलाह—56
11. चंदू का अरविंद लि. में पुनः निवेश करना—59
12. रिवर्स ट्रेडिंग सिस्टम सिद्धांत—66
13. चंदू और चिंकी का चार वर्षीय रिटर्न—69
14. ऋणात्मक से धनात्मक की ओर सुधार : नया आरंभिक बिंदु—72
15. मई 2010 में शेयर बाजार गिरने पर हालात—76
16. पाँच वर्षीय लाभ की तुलना—83
17. चंदू व चिंकी को आइसक्रीम परोसनेवाले वेटर का निवेश—88
18. चंदू की 15 दिसंबर, 2011 तक की खरीद का सारांश—91
19. चंदू को गिरावट में कैसे हुआ टैक्स फ्री नकद मुनाफा?—102
20. चंदू ने 2012 की अस्थिरता का सामना कैसे किया—110
21. चंदू का पहला लाभांश—125
22. अरविंद लि. का डीमर्जर—128
23. अपना निवेश कैसे बढ़ाएँ?—129
24. कहानी का खुशनुमा अंत—131
25. अधिकतर पूछे जानेवाले प्रश्न—134
26. इस प्रणाली का नियमित ट्रेडिंग में कैसे उपयोग करें?—137
27. आपका होमवर्क—142
भारतीय संस्कृति के अध्येता और संस्कृत भाषा के विद्वान् श्री सूर्यकान्त बाली ने भारत के प्रसिद्ध हिंदी दैनिक अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के सहायक संपादक (1987) बनने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। नवभारत के स्थानीय संपादक (1994-97) रहने के बाद वे जी न्यूज के कार्यकारी संपादक रहे। विपुल राजनीतिक लेखन के अलावा भारतीय संस्कृति पर इनका लेखन खासतौर से सराहा गया। काफी समय तक भारत के मील पत्थर (रविवार्ता, नवभारत टाइम्स) पाठकों का सर्वाधिक पसंदीदा कॉलम रहा, जो पर्याप्त परिवर्धनों और परिवर्तनों के साथ ‘भारतगाथा’ नामक पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुँचा। 9 नवंबर, 1943 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में जनमे श्री बाली को हमेशा इस बात पर गर्व की अनुभूति होती है कि उनके संस्कारों का निर्माण करने में उनके अपने संस्कारशील परिवार के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज और उसके प्राचार्य प्रोफेसर शांतिनारायण का निर्णायक योगदान रहा। इसी हंसराज कॉलेज से उन्होंने बी.ए. ऑनर्स (अंग्रेजी), एम.ए. (संस्कृत) और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही संस्कृत भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. के बाद अध्ययन-अध्यापन और लेखन से खुद को जोड़ लिया। राजनीतिक लेखन पर केंद्रित दो पुस्तकों—‘भारत की राजनीति के महाप्रश्न’ तथा ‘भारत के व्यक्तित्व की पहचान’ के अलावा श्री बाली की भारतीय पुराविद्या पर तीन पुस्तकें—‘Contribution of Bhattoji Dikshit to Sanskrit Grammar (Ph.D. Thisis)’, ‘Historical and Critical Studies in the Atharvaved (Ed)’ और महाभारत केंद्रित पुस्तक ‘महाभारतः पुनर्पाठ’ प्रकाशित हैं। श्री बाली ने वैदिक कथारूपों को हिंदी में पहली बार दो उपन्यासों के रूप में प्रस्तुत किया—‘तुम कब आओगे श्यावा’ तथा ‘दीर्घतमा’। विचारप्रधान पुस्तकों ‘भारत को समझने की शर्तें’ और ‘महाभारत का धर्मसंकट’ ने विमर्श का नया अध्याय प्रारंभ किया।