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Shaurya-Parakram ki Kahaniyan    

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Author Acharya Mayaram ‘Patang’
Features
  • ISBN : 9789387980136
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Acharya Mayaram ‘Patang’
  • 9789387980136
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 128
  • Hard Cover
  • 150 Grams

Description

एक महीने के पश्चात महाराणा फिर आगे बढ़े, 16 मार्च, 1527 को खानवा के मैदान में फिर बाबर से दो-दो हाथ हुए। बाबर का मनोबल गिरा हुआ था। बाबर की सेना तो स्वयं को हारा हुआ ही मान रही थी। समरकंद से वहाँ के ज्योतिषी की भविष्यवाणी आई थी कि बाबर को पराजय मिलेगी, वह शत्रु-सेना के द्वारा पकड़ा भी जा सकता है, क्योंकि उस समय मंगल ग्रह प्रबल था, जो बाबर के अनुकूल नहीं था। युद्ध जोरों पर था। दोनों ओर की सेना मारो, मारो, मारो-काटो चिल्ला रही थी। ‘अल्लाहू अकबर’ तथा ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष सुनाई पड़ रहे थे। महाराणा अपनी विजय गाथा दोहराने को तत्पर थे। उनकी एक आँख तो युवावस्था में ही चली गई थी। अनेक युद्ध लड़े, जिनमें एक हाथ और एक टाँग भी जाती रही। फिर भी महाराणा सांगा एक साहसी श्रेष्ठ वीर की भाँति युद्ध से कदम पीछे हटाने की कभी नहीं सोचते थे। उन्होंने लगभग बीसियों युद्ध लड़े और विजय प्राप्त की। खानवा का युद्ध शायद महाराणा का अंतिम युद्ध था।
—इसी पुस्तक से
भारतीय इतिहास साहस, शौर्य, पराक्रम और निडरता की गौरवगाथाओं से भरा पड़ा है। राष्ट्राभिमानी वीर सपूतों ने मातृभूमि और अपने परिवार-समाज की रक्षा हेतु अदम्य युद्धकौशल और पराक्रम का परिचय देकर शत्रु सेनाओं के दाँत खट्टे कर दिए और अपने ध्वज का मान रखा। इस पुस्तक में ऐसे ही बलशाली, पराक्रमी, निर्भीक सेनानायकों की कहानियाँ हैं, जो हमारे गौरव को जगाएँगी और देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित भी करेंगी।

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अनुक्रम

चुक गया स्रोत —Pgs. 5

1. बाप्पा रावल —Pgs. 11

2. कलियुग में भी भीष्म पितामह —Pgs. 19

3. वचन की रक्षा, वतन की रक्षा —Pgs. 23

4. हम्मीर बने महाराणा —Pgs. 30

5. मेवाड़ का महाराणा —Pgs. 33

6. गोरा और बादल की शौर्य कथा —Pgs. 35

7. जौहर का गौरव —Pgs. 44

8. पूरी की प्रतिज्ञा —Pgs. 48

9. हत्यारा, ईश्वर ने मारा —Pgs. 52

10. बिखर गया शत्रु का सपना —Pgs. 55

11. फिर जीता चित्तौड़ —Pgs. 58

12. अहंकार : राजपूतों का दुर्गुण —Pgs. 67

13. संगठन में शक्ति —Pgs. 71

14. देवी की भविष्यवाणी —Pgs. 75

15. सच्चाई सामने —Pgs. 81

16. आन पर बलिदान —Pgs. 87

17. जरा सी भूल, बड़ा परिणाम —Pgs. 91

18. आपसी कलह, दोनों ओर विनाश —Pgs. 95

19. चित्तौड़ में फिर जौहर —Pgs. 100

20. धन्य माता पन्ना धाय —Pgs. 107

21. जीत लिया चित्तौड़ —Pgs. 113

22. राजपुरोहित का बलिदान —Pgs. 119

23. भील पुंजा बना भाई —Pgs. 123

 

The Author

Acharya Mayaram ‘Patang’

आचार्य मायाराम ‘पतंग’
जन्म : 26 जनवरी, 1940; ग्राम-नवादा, डाक गुलावठी, जिला बुलंदशहर।
शिक्षा : एम.ए. (दिल्ली), प्रभाकर, साहित्य रत्न, साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री।
रचना-संसार : ‘गीत रसीले’, ‘गीत सुरीले’, ‘चहकीं चिडि़या’ (कविता); ‘अच्छे बच्चे सीधे बच्चे’, ‘व्यवहार में निखार’, ‘चरित्र निर्माण’, ‘सदाचार सोपान’, ‘पढ़ै सो ज्ञानी होय’, ‘सदाचार सोपान’ (नैतिक शिक्षा); ‘व्याकरण रचना’ (चार भाग), ‘ऑस्कर व्याकरण भारती’ (आठ भाग), ‘भाषा माधुरी प्राथमिक’ (छह भाग), ‘बच्चे कैसे हों?’, ‘शिक्षक कैसे हों?’, ‘अभिभावक कैसे हों?’ (शिक्षण साहित्य); ‘पढ़ैं नर-नार, मिटे अंधियार’ (गद्य); ‘श्रीराम नाम महिमा’, ‘मिलन’ (खंड काव्य); ‘सरस्वती वंदना शतक’, ‘हमारे विद्यालय उत्सव’, ‘श्रेष्ठ विद्यालय गीत’, ‘चुने हुए विद्यालय गीत’ (संपादित); ‘गीतमाला’, ‘आओ, हम पढ़ें-लिखें’, ‘गुंजन’, ‘उद्गम’, ‘तीन सौ गीत’, ‘कविता बोलती है’ (गीत संकलन); ‘एकता-अखंडता की कहानियाँ’, ‘राष्ट्रप्रेम की कहानियाँ’, ‘विद्यार्थियों के लिए गीता’ एवं ‘आल्हा-ऊदल की वीरगाथा’।
सम्मान : 1996 में हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा सम्मानित; 1997 में दिल्ली राज्य सरकार द्वारा सम्मानित।
संप्रति : ‘सेवा समर्पण’ मासिक में लेखन तथा परामर्शदाता; राष्ट्रवादी साहित्यकार संघ (दि.प्र.) के अध्यक्ष; ‘सविता ज्योति’ के संपादक।

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