₹300
सोलह वर्ष की एक कुँआरी युवती और कई नाम—शीबा की रानी; दक्षिण की रानी; दक्षिण अबर के लोगों के लिए बिल्किस; कुरान में बल्किस; टिगरे के लोगों के लिए ऐटेये; यमन के लोगों के लिए बलकामा; हैरोडोटस ने उसे मिस्र की विधवा रानी नाम दिया और ईसाई मिशनरी जैरोनिमो लोबो ने उसे निकौला कहकर पुकारा। पर इथियोपिया में वह सुंदर मकेडा के नाम से जानी जाती है।
यह कहानी अरब में, ज्यूज में, इथियोपिया में और दूसरे देशों में भिन्न-भिन्न तरीके से सुनी जाती है पर यह मध्य पूर्व क्षेत्र की विशेष कहानी है। मुसलमानों की कुरान, ईसाइयों की बाइबिल और यहूदियों की टालमुड में चर्चित, नाटकों, टीवी और फिल्मों में प्रदर्शित, साहित्य में, विशेषकर यूरोपियन साहित्य, और कला में वर्णित यह कहानी कई देशों के इतिहास को जोड़ती है।
इसके विषय में लगभग तभी से पुस्तकें लिखी मिलती हैं, जब से इसका शासन था, यानी 960 बीसी से और सबसे नई पुस्तक टोस्का ली ने सन् 2018 में प्रकाशित की है। साठ से अधिक पुस्तकें, पाँच डीवीडी, दस फिल्में और चार टीवी प्रोग्राम इस पर निर्मित हुए हैं।
शीबा की इस रानी ने ईसा से एक हजार वर्ष पूर्व अपने पिता से यह राजगद्दी इस शर्त पर ली थी कि वह जीवन भर कुँआरी रहेगी। एक प्रसिद्ध राजा और एक विदेशी रानी के बीच घटी एक विस्फोटक घटना जो अब हिंदी में प्रस्तुत है।
____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
भूमिका —Pgs. 5
शीबा की रानी मकेडा —Pgs. 9
1. दक्षिण की रानी मकेडा —Pgs. 15
2. मकेडा को महान् राजा के विषय में मालूम होना —Pgs. 20
3. मकेडा का सोलोमन के पास जाना —Pgs. 27
4. रानी का शीबा पहुँचना और फिर यरूशलम की ओर प्रस्थान करना —Pgs. 30
5. राह के कष्ट —Pgs. 35
6. राजा सोलोमन को रानी के आने की सूचना मिलना —Pgs. 42
7. रानी मकेडा का सोलोमन को पहली बार देखना —Pgs. 48
8. मकेडा के साथ चमत्कार होना —Pgs. 54
9. ईडन के बाग के पेड़ की कहानी —Pgs. 58
10. रानी मकेडा का राजा सोलोमन का वैभव देखना —Pgs. 64
11. राजा सोलोमन के गीत —Pgs. 72
12. उनकी आनंद भरी रात की कहानी —Pgs. 79
13. बिछोह —Pgs. 87
14. मकेडा का पुत्र —Pgs. 93
15. वल्ड–तबीब को रानी का उसके पिता के पास भेजना —Pgs. 96
16. शिमी का दुखड़ा —Pgs. 100
17. वल्ड–तबीब का सोलोमन के पास जाना —Pgs. 104
18. वल्ड–तबीब इथियोपिया का सम्राट् कैसे बना? —Pgs. 110
19. आर्क की चोरी —Pgs. 116
20. वल्ड–तबीब का यरूशलम से प्रस्थान —Pgs. 122
21. राजा सोलोमन का वल्ड–तबीब का पीछा करना —Pgs. 126
22. वल्ड–तबीब का अपने देश अक्सुम वापस लौटना —Pgs. 130
23. टामरिन का फिर समुद्री यात्रा पर जाना —Pgs. 136
• Some Resources on Queen of Sheba —Pgs. 142
• संदर्भ —Pgs. 147
सुषमा गुप्ता का जन्म सन् 1943 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हुआ था। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र और अर्थशास्त्र में एम.ए. किया और मेरठ विश्वविद्यालय से बी.एड. किया। सन् 1976 में ये नाइजीरिया चली गईं। वहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इबादान से लाइबे्ररी साइंस में एम.एल.एस. किया और एक थियोलॉजिकल कॉलेज में 10 वर्षों तक लाइब्रेरियन का कार्य किया।
वहाँ से फिर वे इथियोपिया चली गईं और एडिस अबाबा यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ इथियोपियन स्टडीज की लाइब्रेरी में 3 साल कार्य किया। तत्पश्चात् उन्हें दक्षिणी अफ्रीका के एक देश, लिसोठो के विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ सदर्न अफ्रीकन स्टडीज में एक साल कार्य करने का अवसर मिला। वहाँ से सन् 1993 में ये अमेरिका आ गईं, जहाँ उन्होंने फिर से मास्टर ऑफ लाइब्रेरी ऐंड इनफॉर्मेशन साइंस किया। फिर 4 साल ऑटोमोटिव इंडस्ट्री एक्शन ग्रुप के पुस्तकालय में कार्य किया।
1998 में उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली और अपनी एक वेबसाइट बनाई—222. sushmajee.com। तब से ये उसी पर काम कर रही हैं।
लोककथाओं में विशेष अभिरुचि होने के कारण अधिक समय इन्हीं के संकलन-प्रकाशन पर व्यतीत।