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इस पुस्तक में संगृहीत कविताओं में जीवन को समझने की एक कोशिश है । कहीं-न-कहीं कोई जाना-पहचाना चेहरा, कोई वास्तविक घटना, परंपरा से अर्जित संस्कार, अनुभवजन्य सत्य आदि ही कविता की कच्ची सामग्री है । मेरी कविताएँ आत्माभिव्यक्ति के लिए लिखी गई हैं, परंतु सचेत रूप से लक्षित होकर नहीं । यह सत्य है कि काव्यकला साझे जीवन की उपज होती है, जिसे हम सभी साथ मिलकर जीते हैं एवं अदृश्य तंतुओं से बँधे होते हैं।
ऐसे चिर अनंत जीवन को पूर्णरूपेण समझना किसी एक के वश की बात नहीं हो सकती है। मैंने अपनी समझ कविता के माध्यम से आप तक पहुँचाने की एक छोटी सी कोशिश की है। प्रस्तुत काव्य- संग्रह में आपकी निष्पक्ष प्रतिक्रिया, सुझावों और आलोचनाओं का हृदय से स्वागत है। आपका मूल्यवान मार्गदर्शन मुझे अगली कृति के लिए संबल एवं ऊर्जा प्रदान करेगा।
डॉ. वीरेंद्र प्रसाद (IAS)
शिक्षा : पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातकोत्तर, दूरस्थ शिक्षा द्वारा अर्थशास्त्र एवं वित्तीय प्रबंधन में स्नातकोत्तर ।
रुचि : बागवानी, लेखन, साहित्य, संगीत आदि।
व्यक्तित्व : भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होने के उपरांत डॉ. वीरेंद्र प्रसाद ने बिहार के विभिन्न जिलों में जिला पदाधिकारी के रूप में प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन किया है। डॉ. वीरेंद्र प्रसाद प्रशासनिक दायित्वों के निर्वाह के साथ-साथ अवकाश के समय में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे जरूरतमंद छात्र/छात्राओं का व्यक्तिगत मार्गदर्शन भी करते रहते हैं। इनके दिशा-निर्देश में एवं इनके द्वारा उपलब्ध कराई गई प्रतियोगी पुस्तकों का अध्ययन कर अब तक कई छात्र/छात्राएं अंतिम रूप से सफलता हासिल कर केंद्र या राज्य सरकार के उच्च स्तरीय पदों पर पदस्थापित हैं।
प्रशासनिक दक्षता एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी, प्रकृति प्रेमी, मृदुभाषी, मिलनसार एवं आशावादी व्यक्तित्व वाले डॉ. वीरेंद्र न केवल प्रतियोगी पुस्तकों के लेखक और मार्गदर्शक हैं, बल्कि साहित्य जगत् के चिर-परिचित हस्ताक्षर भी हैं ।