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किसी भी देश के विकास या उत्थान की नींव शिक्षा होती है, परंतु हमारे देश में स्वतंत्रता के 21 वर्षों के बाद प्रथम शिक्षा नीति 1968 में बनी, दूसरी 1986 में बनी; इसके पश्चात् अभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई जा रही है।
देश में शिक्षा में सुधार हेतु जो भी आयोग या नीतियाँ बनाई गईं, उन्होंने कई अच्छी अनुशंसाएँ दीं, परंतु राजनीतिक इच्छा-शक्ति के अभाव में उनका जमीनी क्रियान्वयन नहीं किया गया। उदाहरण के लिए, 1968 में कोठारी आयोग ने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की बात कही थी, इसे 1986 की शिक्षा नीति में स्वीकार भी किया गया था, परंतु आज तक यह व्यवहार में नहीं आया है।
यदि परतंत्र भारत की बात छोड़ भी दी जाए तो स्वतंत्रता के बाद अभी तक हम शिक्षा का लक्ष्य तय नहीं कर पाए हैं। स्वामी विवेकानंद के अनुसार देश की शिक्षा का लक्ष्य (चरित्र निर्माण एवं व्यक्ति को गढ़ना अर्थात् व्यक्तित्व का विकास करना) होना चाहिए। इस बात को और अनेक महापुरुषों ने भी कहा है। इस विषय से संबंधित लेखों का भी पुस्तक में समावेश है।
इसी प्रकार, शिक्षा की वर्तमान समस्याओं तथा उनके कारण एवं निवारण हेतु हमने एवं अनेक शैक्षिक संस्थानों तथा व्यक्तियों ने विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में आधारभूत प्रयोग एवं नवाचार किए हैं। इन मौलिक अनुभवों को शब्दबद्ध करके आलेखों और शोध-पत्रों को लिखा गया है, जिनका संकलित रूप यह पुस्तक है।
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अनुक्रम
समस्या नहीं, समाधान खोजिए —Pgs. 5
भूमिका —Pgs. 9
1. भारत में शैक्षिक परिवर्तन : आवश्यकता एवं दिशा —Pgs. 15
2. शिक्षा का व्यवसायीकरण : एक राष्ट्रीय चुनौती —Pgs. 31
3. मूल्यों की शिक्षा : दशा एवं दिशा —Pgs. 38
4. शिक्षा की स्वायत्तता —Pgs. 47
5. उच्च शिक्षा की दशा एवं दिशा —Pgs. 54
6. शिक्षा एवं आध्यात्मिकता —Pgs. 60
7. चरित्र-निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास —Pgs. 65
8. व्यक्ति एवं समाज-स्वास्थ्य हेतु शिक्षा : वैकल्पिक प्रारूप —Pgs. 74
9. शिक्षा में पर्यावरण संरक्षण एवं संधारणीय विकास —Pgs. 78
10. भारतीय ज्ञान-परंपरा की प्रासंगिकता —Pgs. 83
11. भ्रष्टाचारोन्मूलन एवं शिक्षा —Pgs. 88
12. शिक्षा में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति : एक प्रारूप —Pgs. 92
13. शैक्षिक परिवर्तन आगामी दिशा एवं योजना —Pgs. 99
14. प्रस्तावित नई शिक्षा नीति एवं भारतीय दृष्टि —Pgs. 104
15. शैक्षिक स्थिति : परिवर्तन एवं दिशा —Pgs. 116
16. राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के प्रतिवेदन में व्यावसायिक शिक्षा —Pgs. 122
17. पाठ्यक्रम की पुनर्रचना का प्रारूप —Pgs. 129
18. स्ववित्त पोषित शैक्षिक संस्थानों की संकल्पना एवं भूमिका —Pgs. 132
19. राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं शिक्षा : वैश्विक संदर्भ —Pgs. 136
20. भारतीय भाषाएँ अस्तित्व एवं अस्मिता का प्रश्न —Pgs. 141
21. मातृभाषा —Pgs. 144
22. अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस : 21 फरवरी —Pgs. 150
23. न्याय के क्षेत्र में भारतीय भाषाएँ —Pgs. 154
24. विश्वभाषा हिंदी —Pgs. 158
25. अखिल भारतीय सेवाएँ : भाषा का प्रश्न —Pgs. 164
26. संस्कृत बनाम जर्मन भाषा —Pgs. 167
27. अंग्रेजियत की विषबेल का उन्मूलन —Pgs. 170
28. महिलाओं का उत्पीड़न : कारण एवं निदान —Pgs. 174
29. सामाजिक समरसता : आँखन देखी —Pgs. 180
30. किशोरवय : समस्याएँ एवं समाधान —Pgs. 184
31. पर्यावरण अध्ययन एवं शोध केंद्र —Pgs. 191
32. छात्र आंदोलन : प्रासंगिकता का प्रश्न —Pgs. 195
33. शिक्षक कर्तव्य-बोध —Pgs. 200
34. शिक्षा में नए विकल्प हेतु प्रयास —Pgs. 205
35. कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का प्रेरणा प्रतीक —Pgs. 211
36. गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व) —Pgs. 217
37. महामना पं. मदनमोहन मालवीय का शैक्षिक-चिंतन —Pgs. 222
38. भगिनी निवेदिता का शैक्षिक-चिंतन —Pgs. 226
39. भारतीयता के संवाहक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ —Pgs. 228
40. भारत में तकनीकी शिक्षा —Pgs. 232
अतुल कोठारी
शिक्षा-संवर्धन के कार्यों हेतु निरंतर राष्ट्रव्यापी प्रवास। देश में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक कार्य करनेवाली संस्थाओं व विद्वानों को एक मंच पर लाने के लिए निरंतर यत्नशील।
पूर्व दायित्व : ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति’ के आद्य संस्थापकों में से एक। ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ के संस्थापक सह सचिव। ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्’ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं राष्ट्रीय सह-संगठन-मंत्री।
लेखन, संपादन व प्रकाशन : भारतीय शिक्षा : राष्ट्रीय संकल्पना, शिक्षा में नए विकल्प का प्रारूप; शिक्षा की स्वायत्तता; उच्च शिक्षा : भारतीय दृष्टि; ‘शिक्षा उत्थान’ एवं ई-पत्रिका ‘शिक्षा-दर्पण’ के संपादक।
संपादन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु साहित्य मंडल द्वारा उपाधिपत्र। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा देश भर में तीन हजार से अधिक संगोष्ठी एवं कार्यशालाओं के आयोजन में नेतृत्व। चरित्र-निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास पर 400 से अधिक कार्यशालाओं में मार्गदर्शन। भारतीय भाषा मंच एवं भारतीय भाषा अभियान के गठन के सूत्रधार। वर्ष 2015 में अमेरिका प्रवास के दौरान विश्वधर्म सम्मेलन को संबोधित करने का अवसर। वर्ष 2015 में भोपाल में आयोजित ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ की आयोजन समिति के सदस्य। वर्ष 2016 में मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय के स्थापना-दिवस कार्यक्रम में ‘मुख्य अतिथि’। वर्ष 2018 में विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस में सहभागिता।