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शिष्ट + आचार = शिष्टाचार— अर्थात् विनम्रतापूर्ण एवं शालीनतापूर्ण आचरण । शिष्टाचार वह आभूषण है जो मनुष्य को आदर व सम्मान दिलाता है । शिष्टाचार ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है, अन्यथा अशिष्ट मनुष्य तो पशु की श्रेणी में गिना जाता है ।
शिष्टाचार का हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है । कहने को तो शिष्टाचार की बातें छोटी-छोटी होती हैं, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण होती हैं । व्यक्ति अपने शिष्ट आचरण से सबका स्नेह और आदर पाता है । मानव होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति को शिष्टाचार का आभूषण अवश्य धारण करना चाहिए ।
विद्वान् लेखक ने इस पुस्तक में शिष्टाचार के विविध पहलुओं पर गहराई से प्रकाश डाला है । इसमें घर में शिष्टाचार, मित्रों से शिष्टाचार, आस-पड़ोस में शिष्टाचार, उत्सव-समारोह में शिष्टाचार, खान-पान एवं मेजबानी के समय शिष्टाचार, बातचीत तथा पत्र-लेखन में शिष्टाचार आदि अनेक शीर्षकों के माध्यम से विषय को स्पष्टता के साथ समझाया गया है ।
आशा है, पाठकगण इस उपयोगी और प्रेरक पुस्तक का अध्ययन कर शिष्टाचार की आवश्यकता को समझकर, उसका अनुकरण व अनुसरण कर अपने जीवन को सुखमय एवं व्यक्तित्व को सफल-सार्थक बना सकेंगे ।
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य। हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैंमध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।