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श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे भारतभूमि में मध्य प्रदेश के रत्नशीर्ष हैं। उनकी कुशाग्र मति और भ्रातृत्वशील स्वभाव सभी के लिए प्रेरणाशील रहा है। वे बाल्यकाल से ही आदर्श परिपालन के लिए उद्यत रहे और उत्कृष्ट बालसेवक के रूप में देश की सच्ची सेवा में रत हो गए। गुरु का एकल आह्वान और उनका संघ के लिए प्रचारण का आरंभ किया जाना प्रत्येक राष्ट्रवादी के लिए स्वयं प्रेरणा से कम नहीं है। अल्पकाल में ही उनका नाम श्रेष्ठ संघ-कार्यकर्ताओं में प्रगणित होना गर्व का विषय है। इसका प्रमाण है कि सन् 1956 में जैसे ही उनकी जन्मभूमि एक नवीन स्वतंत्र प्रदेश के रूप में उभरकर सामने आई तो वे मध्य प्रदेश के जनसंघ मोर्चे के संगठन मंत्री बने। कुशाभाऊ सर्वत्र सहज रहते थे। उन्होंने कारावास में भी इस प्रकार सहज पदार्पण किया, मानो वे स्वतंत्र भारत में भी आपातकाल की परतंत्रता का सहर्ष मौन विरोध कर रहे हों। उनकी यह सहिष्णुता एवं सहजता ही उनकी उदात्त छवि की प्रमुख आधारशिला थी।
प्रखर राष्ट्रभक्त, अप्रतिम संघनिष्ठ कार्यकर्ता, दूरद्रष्टा एवं कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे के त्यागमय जीवन का विस्तृत वर्णन करती शब्दांजलि।
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अनुक्रम
अपनी बात —Pgs. 7
मंतव्य —Pgs. 9
खंड-1
1. ठाकरेजी को कठिन काम ही दिए जाते हैं —स्व. अटलबिहारी वाजपेयी —Pgs. 17
2. वे नींव भी हैं और शिखर भी —स्व. राजमाता सिंधिया —Pgs. 19
3. देववल्लभ दिवंगत श्री कुशाभाऊ ठाकरे —वैंकेया नायडू —Pgs. 21 —Pgs.
4. हमारे कुशाभाऊ... —सुमित्रा महाजन —Pgs. 24
5. हिमशिला का धर्म —राजनाथ सिंह —Pgs. 28
6. कुशाभाऊ ठाकरे : एक सहज और स्नेही व्यक्तित्व —सुषमा स्वराज —Pgs. 30
7. साधारण वेश में एक असाधारण व्यक्तित्व —मृदुला सिन्हा —Pgs. 32
8. कुशाभाऊ ठाकरेजी : एक प्रेरणादायी एवं अनुकरणीय व्यक्तित्व —प्रो. कप्तानसिंह सोलंकी —Pgs. 37
9. उनकी पदों से पहचान नहीं —स्व. लखीराम अग्रवाल —Pgs. 41
10. मेरे मार्गदर्शक ठाकरेजी —कैलाश जोशी —Pgs. 43
11. श्री कुशाभाऊ ठाकरेजी का जीवन राष्ट्र को समर्पित —बाबूलाल गौर —Pgs. 55
12. कमलपत्रमिव काम्मसा —कैलाश सारंग —Pgs. 58
13. मेरे आदर्श : श्री ठाकरेजी —विक्रम वर्मा —Pgs. 63
14. स्व. श्री कुशाभाऊ ठाकरेजी साथ किए काम की स्मृतियाँ —हिम्मत कोठारी —Pgs. 67
15. वट होकर भी कुश रहे —महेश श्रीवास्तव —Pgs. 71
16. कुशाभाऊ ठाकरे : एक महान् व्यक्तित्व —मनोहर लाल खट्टर —Pgs. 73
17. प्रेरक, मार्गदर्शक और सबल संगठनकर्ता : ठाकरेजी —डॉ. रमन सिंह —Pgs. 75
18. मुझे बेटी की तरह चाहा —उमा भारती —Pgs. 80
19. राजनीति के अजातशत्रु —रामबहादुर राय —Pgs. 83
20. व्यक्ति नहीं, संस्था थे ठाकरेजी —भगवत शरण माथुर —Pgs. 91
21. राजनीति में कबीर जैसी निरपेक्षता का दीप-स्तंभ हैं ठाकरेजी —नरेंद्र सिंह तोमर —Pgs. 93
22. आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरेजी के कुछ संस्मरण —मेघराज जैन —Pgs. 97
23. सात्त्विक कर्मयोगी —संजय जोशी —Pgs. 102
24. एक राजनीतिक महर्षि : माननीय कुशाभाऊजी ठाकरे —कृष्णमुरारी मोघे —Pgs. 112
25. कार्यकर्ता निर्माण के विश्वविद्यालय —डॉ. सच्चिदानंद जोशी —Pgs. 117
26. वैचारिक मतभिन्नताओं के बावजूद मैं ठाकरेजी का प्रशंसक —रघु ठाकुर —Pgs. 122
27. भाजपा के पितृपुरुष ठाकरेजी —कैलाश विजयवर्गीय —Pgs. 126
28. कुशाभाऊजी के संगठन कौशल को कौन विस्मृत कर सकता है? —नंद कुमार साय —Pgs. 129
29. शीर्ष शिखर बिंदु : कुशाभाऊ ठाकरे —प्रह्लाद पटेल —Pgs. 132
30. निष्काम कर्मयोगी श्री ठाकरेजी —मायासिंह —Pgs. 135
31. कुशाभाऊ : सेवा की आनुवंशिकी —प्रभात झा —Pgs. 138
32. सार्वजनिक जीवन की दिशा-दशा बदली ठाकरेजी ने —स्व. मदनमोहन जोशी —Pgs. 147
33. कुशाभाऊ ठाकरे : सत्ता और सिंहासन की रूह में संगठन का मस्तकाभिषेक —उमेश त्रिवेदी —Pgs. 153
34. कुशाभाऊ ठाकरेजी ने मुझे राजनीतिक छत दी —बृजमोहन अग्रवाल —Pgs. 157
35. एक निष्काम कर्मयोगी : माननीय ठाकरेजी —केशव पांडेय —Pgs. 161
36. ठाकरेजी की मूर्ति के दर्शन होते हैं भा.ज.पा. की जड़ में —जयकृष्ण गौड़ —Pgs. 163
37. विरले थे ठाकरेजी —फूलचंद वर्मा —Pgs. 168
38. निष्काम कर्मयोगी श्रद्धेय स्व. कुशाभाऊ ठाकरे —रामप्रताप सिंह —Pgs. 169
39. सरलता, विनम्रता और समर्पण की त्रिवेणी का पावन संगम-श्री कुशाभाऊ ठाकरे —धरमलाल कौशिक —Pgs. 175
40. बस की यात्रा कर बैतूल गए —रघुनंदन शर्मा —Pgs. 178
41. राष्ट्र आराधना के पथ पर ठाकरेजी —उदय सिंह पंड्या —Pgs. 181
42. कुशल संगठनकर्ता श्री कुशाभाऊजी —अभय महाजन —Pgs. 183
43. एक कर्मयोगी : कुशाभाऊ ठाकरे —अमर अग्रवाल —Pgs. 186
44. वही मंदिर, वही बरगद, वही शाला —गोविंद मालू —Pgs. 190
45. कुशाभाऊ ठाकरे : साधारण व्यक्तित्व-असाधारण कृतित्व —अजय प्रताप सिंह —Pgs. 192
46. ठाकरेजी ने मेरी जीवन दृष्टि ही बदल दी —राजेंद्र शुक्ल —Pgs. 196
47. एक निष्काम राष्ट्र समर्पित कर्मयोगी —तनवीर अहमद —Pgs. 200
48. जीवनपर्यंत बेदाग रहे कुशाभाऊजी ठाकरे —सुरेंद्र पटवा —Pgs. 204
49. सत्ता हमारा साध्य नहीं, के प्रणेता कुशाभाऊ ठाकरे —भरतचंद्र नायक —Pgs. 206
50. मानवीय संवेदना की प्रतिमूर्ति : पितृपुरुष ठाकरेजी —मिश्रानंद पांडेय —Pgs. 209
51. मेरे प्रेरणास्रोत आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरेजी से मेरा परिचय —सर्वेंद्र कुमार —Pgs. 213
खंड-2 माननीय स्व. ठाकरेजी द्वारा ‘भाजपा समाचार’ में लिखे गए लेख
1. भा.ज.पा. ‘एक अभिनव संगठन’ —Pgs. 221
2. आवश्यक है ‘अनुशासन’ —Pgs. 224
3. ‘कार्यकर्ता’ संगठन की धुरी —Pgs. 227
4. ‘वनवासी’ हमारी ताकत —Pgs. 230
5. ‘मोर्चे’ और ‘प्रकोष्ठ’ अलग संगठन नहीं —Pgs. 233
6. सामने कठिन चुनौती —Pgs. 236
खंड-3 कुशाभाऊ ठाकरे व्याख्यानमाला, अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय रीवा
1. भगवत शरण माथुर, कुशाभाऊ ठाकरे एवं नरेंद्र मोदी —आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी —Pgs. 241
2. सामाजिक चिंतन की अभिनव परंपरा —प्रो. के.एन. सिंह यादव —Pgs. 247
3. अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय रीवा में स्व. कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति भाषणमाला : एक विहंगावलोकन —प्रो. दिनेश कुशवाह —Pgs. 251
4. विंध्य के लिए स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति व्याख्यानमाला ज्ञान गंगा —योगेंद्र शुक्ला —Pgs. 253
5. निष्ठावान स्वयंसेवकों की फौज खड़ी की ठाकरेजी ने... —बुद्धसेन पटेल —Pgs. 256
खंड-4 स्व. ठाकरेजी के चुनिंदा साक्षात्कार (वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश त्रिवेदी द्वारा...)
1. हाथ कंगन को आरसी क्या... 05 मार्च, 1992 —Pgs. 261
2. छप्पर के कवेलू तो सोने के नहीं बना देगी सरकार 15 मई, 1992 —Pgs. 266
3. धर्म नहीं, भाजपा को राजनीति से अलग करना चाहते हैं : ठाकरे 23 नवंबर, 1993 —Pgs. 271
4. अटलजी के ‘एप्रोच’ से अयोध्या-आंदोलन को नुकसान नहीं... 17 जनवरी, 1993 —Pgs. 276
5. उत्तर के बलबूते पर भी भाजपा सरकार संभव : कुशाभाऊ ठाकरे —24 अप्रैल, 1996 —Pgs. 284
6. भाजपा की सफलता का सबब नीतियों की निरंतरता, प्रखर राष्ट्रीयता —06 अप्रैल, 2000 —Pgs. 290
सिद्धार्थ शंकर गौतम
जन्म : 2 फरवरी, 1986, महरौनी, जिला-ललितपुर (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए. (जनसंचार)।
संप्रति : लेखक/विचारक । देश के विभिन्न समाचार-पत्रों में 1000 से अधिक लेखों का प्रकाशन।
पूर्व प्रकाशित पुस्तकें : ‘वैचारिक द्वंद्व’, ‘लोकतंत्र का प्रधान सेवक’ एवं ‘राष्ट्रभावना का जाग्रत् प्रहरी संघ, सामाजिक चेतना का अग्रदूत: मन की बात, सनातन संस्कृति का महापर्व: सिंहस्थ, श्रद्धेय, स्वराज का शंखनाद: एकल अभियान, संघ: राष्ट्र भावना का जाग्रत प्रहरी, सेवा संघस्य भूषणम् अन्य
दूरभाष : 09424038801
फेसबुक: @vaichaariki
ट्विटर: @vaichaariki
ईमेल: vaichaariki@gmail.com
भगवत शरण माथुर
13 अप्रैल, 1951 को ग्राम तलेन, जिला राजगढ़ (म.प्र.) में जनमे भगवत शरण माथुर 1975 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक निकले। सर्वश्री बाबासाहेब देवरस, के.सी. सुदर्शन, बाबासाहेब नातू, कुशाभाऊ ठाकरे, माखन सिंह जैसे मूर्धन्य व्यक्तित्वों के साथ कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अनेक जिलों में जिला प्रचारक रहे; मध्य प्रदेश के सह-संगठन मंत्री और हरियाणा के संगठन मंत्री रहे। आपातकाल के दौरान 19 माह जेल में रहे। अपनी समस्त पैतृक संपत्ति समाज सेवा हेतु समर्पित कर ‘श्री नर्मदेहर सेवा न्यास’ की स्थापना कर दी। न्यास द्वारा वनवासी क्षेत्रों में समाज सेवा के कई प्रकल्प निःशुल्क चलाए जा रहे हैं। संप्रति अनु. जाति/जनजाति मोर्चा एवं सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संगठक।
इ-मेल : bsmathur2008@gmail.com