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Shravasti Ka Vijayparva "श्रावस्ती का विजयपर्व" Book In Hindi - Shatrughan Prasad
श्रावस्ती के विजयपर्व में दो पात्रों की चर्चा आवश्यक है—मुल्तान से आया तीर्थयात्री माधव शर्मा और नाथपंथी योगी चंद्रनाथ। माधव शर्मा श्रावस्ती को इसलामी शासकों के विध्वंस और आतंक के साथ-साथ हिंदू राजाओं की उदासीनता से अवगत कराते हैं।
नाथपंथी योगी चंद्रनाथ एक तेजस्वी साधु हैं। वह पूरे देश में घूम-घूमकर जनता और राजप्रमुखों को प्रतिरोध के लिए प्रबोधित करते हैं। नाथपंथी योगी श्रावस्ती के चतुर्दिक् फैलकर विदेशी आक्रमणकारियों के प्रतिकार हेतु युवकों को उत्साहित करते हैं। इस कार्य में वैष्णव साधु भी जुड़ गए और देखते-देखते श्रावस्ती के युवक सैन्य प्रशिक्षण के लिए सन्नद्ध होने लगे।
शत्रुघ्न बाबू का ‘श्रावस्ती का विजयपर्व’ एक महनीय कृति है। उनकी अन्य कृतियों की भाँति यह कृति भी राष्ट्र-भाव की संपोषक कृति है।
यदि सत्ताप्रमुख चरित्रवान, तेजस्वी, निरभिमानी और दूरदर्शी हो, जनता के प्रति संतान-भाव रखता हो, पंथ-संप्रदाय से ऊपर उठकर सबके कल्याण के लिए समर्पित हो, उसके अधिकारियों और कर्मचारियों में अनुशासन एवं समन्वय हो तो उसके नेतृत्व में देश बड़े-से-बड़े संकट का सामना कर सकता है और विजयी हो सकता है।