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बच्चों का मस्तिष्क कोरी स्लेट की तरह होता है। छोटी आयु में उन्हें जो भी सिखाया जाए, वह सब उनके मानस पटल पर अंकित होता जाता है। उनके मानस पर जो कुछ अंकित हो जाता है, वह बडे़ होने पर भी स्थायी बना रहता है।
ये कहानियाँ उन बच्चों को लक्ष्य कर लिखी गई हैं, जो अबोध आयु को पार कर किशोरावस्था में प्रवेश कर रहे हैं। आज के बच्चे समझते हैं कि कल्पना और यथार्थ में अंतर होता है। उन्हें यह ज्ञान होना चाहिए कि सत्य क्या है, उसे कैसे अभिव्यक्त करना चाहिए और क्या अच्छा है, क्या बुरा।
प्रस्तुत संकलन में संकलित कहानियाँ मानवीय स्वभाव के सद्गुणों-अवगुणों और भावनाओं, जैसे—ईर्ष्या, छल, दूसरों की सहायता, कंजूसी आदि पर आधारित हैं। विश्वास है, इन्हें पढ़कर पाठकगण भरपूर आनंद उठाएँगे।
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ था। इन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और अब इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ की एक बहुसर्जक लेखिका। इन्होंने उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, कहानी-संग्रह, कथेतर रचनाएँ तथा बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
इनकी अनेक पुस्तकों का भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और पूरे देश में उनकी 4 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इन्हें सन् 2006 में साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण पुरस्कार’ और ‘पद्मश्री’ तथा 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टिमब्बे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।