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विश्व प्रसिद्ध हिमालयी अनूठी देवी महायात्रा ‘श्री नन्दा देवी राजजात' यात्र 280 कि.मी. लम्बी एक दुर्गम और कठिन यात्रा मात्र नहीं, अपितु उत्तराखण्ड राज्य की एक अमूल्य सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है । हजारों वर्ष पूर्व से चली आ रही इस अतुलनीय यात्रा की परम्परा और पवित्रता आज भी विद्यमान है । यह हिमालयी अनूठी देवी महायात्रा सम्पूर्ण उत्तराखण्ड क्षेत्र के जनमानस में माँ नन्दा देवी के प्रति अटूट आस्था, अपार स्नेह और अगाध श्रद्धा भाव को प्रदर्शित करती है । यह यात्रा पर्वतोरोहण, पथारोहण, साहसिक अभियान, प्रकृति भ्रमण के प्रति जनमानस की रुचि को बढ़ावा देती है । वहीं यह यात्रा स्वास्थ्य दृष्टि से अति लाभकारी है । आइए, माँ नन्दा भगवती की असीम कृपा से इस अनछुए प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण अद्भुत संसार में चलें । एक बार श्रद्धालु बनकर इस देवी महायात्रा में शामिल होकर देखिए ।
माँ नन्दा देवी राजजात यात्रा में एक बार शामिल होने के पश्चात् आप भी मेरी तरह इस हिमालयी अनूठी देवी महायात्रा को अतुलनीय, अलौकिक और अविस्मरणीय कहे बिना न रह सकेंगे ।
जन्म : 7 जनवरी, 1964 को ग्राम -मल्ला, पो. ऑ. -ल्वाणी वाया देवाल तहसील- थराली, जिला-चमोली ( उत्तराखण्ड) में ।
कृतित्व : उत्तराखण्ड शोध संस्थान, दिल्ली इकाई के संयोजक ( अवैतनिक); शोध एवं पटकथा पर वृत्तचित्र ' उत्तराखण्ड का जनान्दोलन ' का निर्माण; हिमालयी संस्कृति एवं पर्यावरण के उन्नयन संवर्द्धन एवं संरक्षण के लिए निरन्तर प्रयत्नशील । ट्रेकिंग एवं प्रकृति भ्रमण को बढ़ावा देने के लिए रूपकुण्ड गाइड एवं पोर्टर्स सोसाइटी, लोहाजंग (चमोली) के अवैतनिक सचिव के रूप में सक्रिय । हिन्दी, संस्कृत, गढ़वाली, कुमाऊँनी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए संघर्षरत ।
सम्मान : 1997 में ' आगे बढ़ो-रेल जवान ' ( कविता) के लिए क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्र चन्दौसी द्वारा प्रशस्ति पत्र; साहित्य एवं संस्कृति क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सन् 2006 में ' हिमालय और हिन्दुस्तान अवार्ड ' । उत्तराखण्ड आन्दोलन पर पहले वृत्तचित्र उत्कृष्ट शोध एवं लेखन के लिए सम्मानित ।
सम्प्रति : भारतीय रेलवे में सेवारत ।