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‘श्रीगुरुजी-काव्यामृत’ विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचलित नाम ‘आर.एस.एस.’, लघु नाम ‘संघ’ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य ‘श्री माधव सदाशिवराव गोलवलकर’ उपाख्य ‘श्रीगुरुजी’ के जीवनवृत्त को खंडकाव्य में वर्णित करने का एक लघु प्रयास है।
संघ की स्थापना परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने सन् 1925 में नागपुर प्रांत में की थी। सन् 1940 में प्रथम सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार के देहावसान के पश्चात् श्रीगुरुजी द्वितीय सर संघचालक बने।
संघ के अंकुरित पौधे को अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व की खाद-पानी देकर उसे वटवृक्ष के समान उसकी जड़ों और शाखाओं का विस्तार करनेवाले महनीय ‘श्रीगुरुजी’ ही थे। सरसंघचालक का दायित्व ग्रहण करने से लेकर जून 1973 में मृत्युपर्यंत उन्होंने संघ में अनेक सोपान जोड़े। आधुनिक भारत के इतिहास में यह कालखंड निर्णायक रहा है, जब बँटवारे की विभीषिका के बीच सन् 1947 में यह देश स्वतंत्र हुआ, किंतु कुछ समय पश्चात् ही गांधी-हत्या का जघन्य अपराध भी हो गया। इसके पश्चात् संघ को बलि का बकरा बनाते हुए प्रतिबंधित कर कुचलने का प्रयास भी किया गया। परंतु जिस प्रकार संघ को इस भीषण कुठाराघात व घृणित दोषारोपण से निकालते हुए ‘श्रीगुरुजी’ ने समाज के विविध क्षेत्रों में अपने अनेक आनुषांगिक संगठन खड़े किए, वह उनकी अद्भुत अद्वितीय संगठन क्षमता को प्रकट करता है। ऐसे विराट् संगठनकर्ता के व्यक्तित्व व कृतित्व का वर्णन सरल, सुगम्य, सुबोध खंडकाव्य में कर पाने जैसे दुष्कर कार्य में रचयिता कितना सफल हुआ है, इसकी समीक्षा आप सुधी पाठकों को करनी है।
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अनुक्रम
भाव श्रद्धांजलि —Pgs. 7
लेखकीय प्राक्कथन —Pgs. 9
आभार ज्ञापन —Pgs. 15
1. प्रस्तावना —Pgs. 19
2. कुल परिचय —Pgs. 32
3. काशी में शिक्षा ग्रहण —Pgs. 41
4. गुरु दीक्षा —Pgs. 58
5. संघ हेतु समर्पित जीवन —Pgs. 73
6. उत्तरदायित्व सँभालना —Pgs. 88
7. प्रतिबंध संबंधी —Pgs. 102
8. काश्मीर की रक्षा में योगदान —Pgs. 115
9. गांधी हत्या और संघ —Pgs. 125
10. देश का परिभ्रमण —Pgs. 139
11. गो वध निरोध आंदोलन —Pgs. 157
12. विवेकानंद शिला स्मारक की रचना —Pgs. 172
13. श्री नेहरू द्वारा तिब्बत को चीन को समर्पण और उसका परिणाम —Pgs. 190
14. जीवन का सांध्य काल—कैंसर गाँठ की शल्य चिकित्सा —Pgs. 207
15. महाप्रयाण —Pgs. 218
संदर्भ ग्रंथों की सूची —Pgs. 232
श्री योगेश चंद्र वर्मा ‘योगी’ का जन्म 20 जनवरी, 1942 को अपने ननिहाल ग्राम गौसगंज, जनपद हरदोई में हुआ। उनका पैतृक आवास ग्राम ऐन लखनऊ में है। अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिताश्री कन्हैया लाल वर्मा व माताश्री कलावती के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में योगीजी की प्रारंभिक शिक्षा गौसगंज में हुई। उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा कान्यकुब्ज कॉलेज लखनऊ और उच्च शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से एवं साकेत महाविद्यालय फैजाबाद से बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की।
सन् 1955 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। संघ के गटनायक से लेकर जिला कार्यवाह तक के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। संघ के आह्वान पर 11 दिसंबर, 1975 को आपातकाल के विरुद्ध सत्याग्रह करके 14 अगस्त, 1976 तक लखनऊ कारागार में निरुद्ध रहे।
अध्यापन की यात्रा बृजरानी इंटर कॉलेज से प्रारंभ की। फिर पटेल आदर्श विद्यालय, ऐन लखनऊ में अनवरत 35 वर्षों तक प्रधानाचार्य रहकर सन् 2002 में सेवानिवृत्त हुए।
रचनाएँ : योगी-सप्तशती, गीत-भारती, अविनाशी गीतमाला, टूटेगा कब धैर्य आपका बोलो अटल बिहारी, धर्मसत्ता, गीता-दोहावली, गीतों से प्रार्थना-बोध, तब तक अपना भारत मित्रो, वैभव युक्त नहीं होगा।
दूरभाष : 8765970125