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Shrilal Shukla Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Shrilal Shukla
Features
  • ISBN : 9789352662920
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : First
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shrilal Shukla
  • 9789352662920
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • First
  • 2018
  • 168
  • Hard Cover
  • 250 Grams

Description

श्रीलाल शुक्ल जितने बड़े व्यंग्यकार हैं, उतने ही सशक्त कहानीकार भी, जिनकी कहानियों का बिल्कुल अलग अंदाज है, जिनमें एक धीमा-धीमा व्यंग्य अकसर घुला-मिला होता है। इससे कहानी जो कुछ कहती है, उसके अलावा भी कई और दिशाएँ और आशय खुलते हैं, जिनमें जीवन की विसंगतियाँ, मनुष्य की भीतरी उधेड़बुन और न कही जा सकने वाली मानव-मन की गुत्थियाँ भी शामिल हैं। श्रीलाल शुक्ल ने गाँव हो या शहर, महानगरीय उच्च वर्ग का अहं हो या निचले और मेहनतकश वर्ग की गहरी तकलीफें, सबको बहुत पास से देखा और सबकी भीतर की सचाइयों पर उनकी पैनी नजर रखी। इसी से उनकी कहानियों में यथार्थ के इतने बहुविध रूप सामने आते हैं कि ताज्जुब होता है।
और यही नहीं, श्रीलालजी की कहानियों में शिल्प के इतने रूप हैं कि आप कह सकते हैं कि अपनी हर कहानी में वे शिल्प की एक अलग काट और भाषा के अलग अंदाज के साथ उपस्थित हैं। यह क्षमता और कलात्मक सामर्थ्य बहुत कम कथाकारों में देखने को मिलती है। ‘छुट्टियाँ’ और ‘यह घर मेरा नहीं है’ में उनकी भाषा का जो रंग है, वही ‘लखनऊ’, ‘कुत्ते और कुत्ते’, ‘यहाँ से वहाँ’ या ‘नसीहतें’ कहानियों में नहीं है और ‘उमरावनगर में एक दिन’ कहानी में तो श्रीलालजी भाषा के खिलंदड़ेपन के साथ सचमुच एक नया ही शिल्प गढ़ते नजर आते हैं।
सच तो यह है कि श्रीलाल शुक्ल के कहानीकार को ठीक-ठीक समझा ही नहीं गया। इस संचयन में उनकी कुल पंद्रह कहानियाँ शामिल हैं, जिनमें सभी का रंग और अंदाज अलग-अलग है और कोशिश रही है कि उनके कहानीकार का हर रंग और अंदाज पाठकों के आगे आए।

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अनुक्रम

भूमिका—5

1. छुट्टियाँ—13

2. यह घर मेरा नहीं—35

3. एक लुढ़कता हुआ पत्थर—47

4. एक चोर की कहानी—56

5. सर का दर्द—66

6. अपनी पहचान—72

7. मेरी भाभी—79

8. लखनऊ—88

9. जीवन का एक सुखी दिन—97

10. एक खानदानी नौजवान—100

11. भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ—107

12. एक पद्मभूषण का अभिनंदन—112

13. यहाँ से वहाँ—118

14. नसीहतें—122

15. को और को—127

16. उमरावनगर में कुछ दिन—135

The Author

Shrilal Shukla

जन्म  :  31 दिसंबर, 1925 को लखनऊ जनपद के अतरौली गाँव में।
शिक्षा  :  इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक।
प्रकाशित कृतियाँ
उपन्यास  :  सूनी घाटी का सूरज, अज्ञातवास, रागदरबारी, आदमी का जहर, सीमाएँ टूटती हैं, मकान, पहला पड़ाव, विस्रामपुर का संत।
कहानी-संग्रह  :  यह घर मेरा नहीं, सुरक्षा तथा अन्य कहानियाँ।
व्यंग्य  :  अंगद का पाँव, यहाँ से वहाँ, मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ, उमरावनगर में कुछ दिन, कुछ जमीन पर कुछ हवा में, आओ बैठ लें कुछ देर, अगली शताब्दी का शहर, खबरों की जुगाली।
आलोचना  :  अज्ञेय  :  कुछ राग और कुछ रंग।
विनिबंध  :  भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर।
बाल साहित्य  :  बब्बर सिंह और उसके साथी।
अनुवाद  :  ‘पहला पड़ाव’ अंग्रेजी में अनूदित और ‘मकान’ बांग्ला में। ‘राग दरबारी’ सभी प्रमुख भाषाओं सहित अंग्रेजी में।
सम्मान  :  साहित्य अकादेमी पुरस्कार, साहित्य भूषण सम्मान, लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान, म.प्र. शासन का शरद जोशी सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, व्यास सम्मान।

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