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Shrimad Bhagavadgita Mein Karma Aur Netratva Siddhant | Shrimad Bhagwat Geeta Hindi   

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Author Dr. Asmika Sinha
Features
  • ISBN : 9789392013997
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Dr. Asmika Sinha
  • 9789392013997
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2025
  • 244
  • Soft Cover
  • 250 Grams

Description

"श्री कृष्ण-अर्जुन संवाद को और श्रीकृष्ण के इन्हीं उपदेशों को हम श्रीमद्भगवद्गीता ग्रंथ के रूप में पढ़ते हैं। श्रीमद्भगवद्‌गीता का अर्थ है, भगवान् का गाया हुआ ज्ञान गीत। श्रीकृष्ण को हम अर्जुन के सारथी मात्र नहीं, बल्कि हमारे जीवन के सारथी के रूप में भी देख सकते हैं। उनके दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए जीवन की सभी चिंताओं व दुःखों के निवारण को प्राप्त कर सकते हैं। भगवद्गीता विचारों और ज्ञान की सतत प्रवहमान नदी जैसी है, जो युगों-युगों से भारतीय संस्कृति को सिंचित करती हुई कर्मपथ पर अग्रसर होने का संदेश देती है। इसका ज्ञानसिंधु गहरा और विराट् है; हम जितना इसमें समाहित होते जाते हैं, उतना ही हमें ज्ञानरूपी मोती प्राप्त होते हैं। भगवद्गीता ज्ञानयात्रा सात अध्यायों में कर्म और नेतृत्व-क्षमता परिभाषित करती है, यही प्रस्तुत करने का लक्ष्य इस पुस्तक में निहित है।

भारत में लगभग हरेक प्रमुख धर्म ग्रंथ की तरह गीता की रचना की कोई निश्चित तिथि नहीं बताई जा सकती है। तथापि यह प्रतीत होता है कि इसे मैत्री के संभावित अपवाद के साथ 'शास्त्रीय' उपनिषद् की तुलना में बाद के काल में लिखा गया था और यह बौद्ध धर्म के बाद के काल की रचना है। पाँचवीं और दूसरी शताब्दी ई.पू. की सामग्री से ही यह स्पष्ट है कि उपनिषदों और प्रारंभिक बौद्ध धर्म, दोनों की प्रमुख शिक्षाएँ गीता के समान ही थीं, जैसा द्वैतवादी शिक्षा, जिसे आमतौर पर सांख्य कहा जाता था, बाद में इसकी परिभाषा समाख्या-कारिका ईशकृपा से प्राप्त हुई।"

The Author

Dr. Asmika Sinha

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