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‘स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन’ का निवास होता है। दुनिया में एक से बढ़कर एक बहुमूल्य चीजें हैं, परंतु इनमें एक चीज सबसे अनमोल है, और वह है—उत्तम स्वास्थ्य। मनुष्य जब-जब प्रकृति के विपरीत जाता है; अपना खान-पान तथा दिनचर्या संयमित नहीं रख पाता है, तब-तब बीमारियों की पकड़ में आ जाता है। बीमारियाँ हैं तो उनका इलाज भी है। अनेक चीजों को हम नित्य खाते हैं, उपयोग में लाते हैं, परंतु उनके आरोग्यकारी गुणों के बारे में नहीं जानते। पुराकाल में अधिकतर बीमारियों का इलाज घर में ही कर लिया जाता था, ऐसा अभी भी संभव है।
प्रस्तुत पुस्तक में सर्वसुलभ अनाजों, यथा—गेहूँ, चावल, जौ, ज्वार, मक्का, बाजरा; दालें—अरहर, उड़द, मूँग, मसूर, चना, मटर, मोठ, कुलथी; तिलहन—सरसों, सोयाबीन, मूँगफली, तिल, नारियल, महुआ; दुग्ध के उत्पाद—दही, छाछ, मक्खन, घी तथा सिरका, गुड़, फिटकरी, चंदन, बर्फ, कपूर इत्यादि का सांगोपांग वर्णन है। प्रत्येक का आंचलिक नाम, गुणधर्म, सामान्य उपयोगों के साथ-साथ विभिन्न रोगों में उनके औषधीय उपयोग भी बताए हैं। पुस्तक के अंत में उपयोगी परिशिष्ट जोड़े गए हैं।
सुधी पाठक इस पुस्तक से भरपूर लाभ उठाकर अपने घर-परिवार को नीरोग कर पाएँगे, साथ ही सदियों पुरानी परंपरागत देसी/घरेलू चिकित्सा को पुनर्जीवित कर ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’ के मंत्र को सार्थकता प्रदान करेंगे।
खान-पान और जीवनशैली को संयमित बनाकर उत्तम स्वास्थ्य का सूत्र देनेवाली लोकोपयोगी पुस्तक।
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अनुक्रम
पुरोवाक् — Pgs. 7
ताकि पौष्टिक तत्त्व नष्ट न हों — Pgs. 11
अन्न-धान्य
1. अनाजों का राजा गेहूँ — Pgs. 21
2. उत्तम पाचक है चावल — Pgs. 28
3. ठंडा कब्जनाशी जौ — Pgs. 33
4. ठंडी दस्तरोधी मक्का — Pgs. 38
5. बलवर्धक बाजरा — Pgs. 42
6. बवासीरनाशक ज्वार — Pgs. 46
7. कब्जनाशक ईसबगोल — Pgs. 50
8. वात-ज्वरनाशक मेथीदाना — Pgs. 53
दलहन
9. त्रिदोषहर अरहर — Pgs. 59
10. बलवर्धक-वीर्यवर्धक उड़द — Pgs. 63
11. कफ-पित्तनाशक मसूर — Pgs. 67
12. मलरोधक मूँग — Pgs. 71
13. बलवर्धक-रक्तवर्धक चना — Pgs. 75
14. पित्तदोष निवारक मटर — Pgs. 82
15. कफ-पित्तनाशक मोठ — Pgs. 86
16. मूत्राश्मरीनाशक कुलथी — Pgs. 89
तिलहन
17. दर्दनाशक सरसों — Pgs. 95
18. दुर्बलता दूर करे सोयाबीन — Pgs. 99
19. गरीबों का काजू मूँगफली — Pgs. 104
20. त्रिदोषशामक तिल — Pgs. 109
21. रक्तविकारनाशक नारियल — Pgs. 113
22. बल-वीर्यवर्धक महुआ — Pgs. 117
दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद
23. संपूर्ण आहार है दूध — Pgs. 125
24. अग्निप्रदीपक दही — Pgs. 131
25. जवान बनाए रखती है छाछ — Pgs. 136
26. कांतिवर्धक मक्खन — Pgs. 140
27. बुद्धि एवं वीर्यवर्धक घी — Pgs. 143
28. श्रमहर-कफहर चाय — Pgs. 147
29. मानसिक चुस्ती दे कॉफी — Pgs. 152
विविध (दैनिक उपयोगी चीजें)
30. जल है तो जीवन है — Pgs. 159
31. लौहतत्त्व से भरपूर गुड़ — Pgs. 164
32. पुष्टिकारक शहद — Pgs. 168
33. पाचन-तंत्र का दोस्त सिरका — Pgs. 173
34. सबरस है नमक — Pgs. 177
35. अफरा-कब्जनाशक हींग — Pgs. 181
36. विषदोषनाशक कपूर — Pgs. 185
37. शक्तिवर्धक केसर — Pgs. 188
38. विटामिन ‘सी’ का भंडार नीबू — Pgs. 192
39. शीतलता प्रदायक चंदन — Pgs. 196
40. गुणकारी बर्फ — Pgs. 200
41. बड़े काम की फिटकरी — Pgs. 203
42. सब दोष हरे माटी — Pgs. 207
परिशिष्ट
1. रोगों एवं उनके गुणधर्मी शब्दों के भावार्थ — Pgs. 211
2. कैसे क्या बनाएँ? — Pgs. 214
प्रेमपाल शर्मा
जन्म : 5 जुलाई, 1963 को बुलंदशहर (उ.प्र.) के मीरपुर-जरारा गाँव में।
कृतित्व : विश्वप्रसिद्ध वनस्पतिविद् एवं वन्यजीव-विज्ञानी डॉ. रामेश बेदी के सान्निध्य में अनेक वर्षों तक शोध सहायक के रूप में कार्य एवं 'बेदी वनस्पति कोश' (छह खंड) का सफल संपादन। 'सवेरा न्यूज' साप्ताहिक में स्वास्थ्य कॉलम एवं संपादकीय लेखन के साथ-साथ आकाशवाणी (मथुरा व नई दिल्ली) से वार्त्ता आदि प्रसारित; 'टू मीडिया' मासिक द्वारा मेरे व्यक्तित्व-कृतित्व पर विशेषांक प्रकाशित ।
रचना-संसार : 'निबंध, पत्र एवं कहानी लेखन', 'सुबोध हिंदी व्याकरण', 'जीवनोपयोगी जड़ी-बूटियाँ', 'स्वास्थ्य के रखवाले, शाक-सब्जी-मसाले', 'सचित्र जीवनोपयोगी पेड़-पौधे', 'संक्षिप्त रामायण', 'स्वस्थ कैसे रहें?', 'स्वदेशी चिकित्सा सार', 'घर का डॉक्टर', 'शुद्ध अन्न, स्वस्थ तन', 'नगरी-नगरी, द्वारे-द्वारे' (यात्रा-संस्मरण); 'हिंदी काव्य धारा' (संपादन ।
पुरस्कार-सम्मान : श्रीनाथद्वारा की अग्रणी संस्था साहित्य मंडल द्वारा 'संपादक- रत्न' एवं 'हिंदी साहित्य-मनीषी' की मानद उपाधि।
संप्रति : आयुर्वेद पर शोध एवं स्वतंत्र लेखन ।