₹250
चुनौती मैं हर रोज चुनौती लेती हूँ, मैं हर दिन चुनौती देती हूँ किसी को नहीं, खुद को मेरा दिन शुरू होता है मैं कहती हूँ, मैं कर सकती हूँ और शुरू होता है करने का सिलसिला दर्द के साथ चलती हूँ दुःख के साथ हँसती हूँ थककर मुसकराती हूँ खोकर पाने की कोशिश करती हूँ हाँ, मैं रोज चुनौती लेती हूँ हाँ, मैं रोज चुनौती देती हूँ मैं स्त्री हूँ, कमजोर नहीं अबला नहीं, बेचारी नहीं लाचार नहीं, आश्रित भी नहीं शक्ति का पर्याय हूँ नारी हूँ, सारे जग पर भारी हूँ हाँ, मैं चुनौती पूरा करती हूँ विजयी बन, विजय पताका लहराती और फहराती हूँ।