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दुनिया भर के दार्शनिकों में सुकरात का विशिष्ट स्थान है। उनमें सोचने-समझने की क्षमता थी और वह सत्य एवं न्याय की खोज के प्रति दृढ़-संकल्प थे। वह मानते थे कि एक बेहतर विश्व की कल्पना तभी साकार हो सकती है, जब लोग समझदार एवं बुद्धिमान हों। हमें किसी दूसरे के विचारों को यूँ ही स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए, बल्कि उनको आलोचनात्मक तर्क की कसौटी पर परखना चाहिए।
सुकरात के विचारों का अध्ययन आज अधिक उपयोगी एवं प्रासंगिक हो गया है। सुकरात की कही हुई बहुत सी बातों को बड़ी प्रसिद्धि मिली। उन्हीं में से एक है—‘बिना जाँचा-परखा जीवन जीने योग्य नहीं होता है।’
उनके प्रिय शिष्य प्लेटो ने कहा था, “उनके समय के जितने भी लोगों को हम जानते हैं, उनमें से वे सर्वश्रेष्ठ और सबसे बुद्धिमान तथा अत्यंत न्यायसंगत व्यक्ति थे।”
विश्वास है कि यह पुस्तक पाठकों को सदाचारी बनने में सहायक होगी और वे सुकरात के विचारों से सीख लेकर अपने जीवन की विषम परिस्थितियों का सामना कुशलता से कर सकेंगे।
पूर्व मिसाइल वैज्ञानिक प्रो. अरुण तिवारी ने भारत की सेटैलाइट आधारित प्रथम टेली मेडिसन सेवा शुरू की थी। सन् 1987 से उन्होंने रचनात्मक विज्ञान लेखन प्रारंभ किया और अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ लिखी बेस्टसेलर पुस्तकें ‘अग्नि की उड़ान’, ‘आरोहण’ व ‘हमारे पथ प्रदर्शक’ प्रमुख हैं।अरुण कुमार तिवारी बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं और केयर फाउंडेशन, हैदराबाद के निदेशक हैं।