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"सोहनी महिवाल सिर्फ प्रेम की कहानी नहीं है, बल्कि महिला सशक्तीकरण का प्रतीक है, प्रेम का प्रतीक है। सोहनी और महिवाल की प्रेम कहानी में मिट्टी के घड़े का खास महत्त्व है। सोहनी अपने महिवाल से मिलने के लिए हर दिन चिनाब नदी को पार करने के लिए घड़े का इस्तेमाल करती थी। लेकिन एक दिन उसकी ननद ने उसके घड़े को एक ऐसे घड़े से बदल दिया, जो अधूरा और अधपका था।
सोहनी कच्चे घड़े का अंदाजा लग जाने और चिनाब में बाढ़ के बावजूद महिवाल से मिलने का फैसला करती है और जैसे ही सोहनी महिवाल से मिलने के लिए चिनाब नदी में उतरती है, उसका कच्चा घड़ा उसके हाथों में गलना शुरू हो जाता है। सोहनी डूब गई। हाँ, सोहनी मर गई और महिवाल के पास जो पहुँचा, वह उसका शव था। सोहनी प्यार के इंतजार में नहीं, वरन् सोहनी बाधाओं से लड़ने की कोशिश में मर गई! सोहनी को पता चल गया कि उसका घड़ा बदल दिया गया है, फिर भी अपने प्रियजन से मिलने की ललक में वह कच्चा घड़ा लेकर चिनाब में कूद पड़ी।"