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सोलह आने सच—कैप्टेन .खुर्रम शहज़ाद नूरसोलह आने सच ऐसी सोलह कहानियों का संग्रह है, जिन पर सच्ची कथाएँ होने का भ्रम होता है। सभी कहानियों का मूल भाव आज के युग में धूमिल होते संबंधों की बारीकियाँ हैं, जो पाठक के हृदय को छूकर कभी उसकी आँखें नम करती हैं, कभी चेहरे पर मुसकान लाती हैं तो कभी मन को विचलित कर देती हैं। कहानियों की पृष्ठभूमि कहीं छोटा सा शहर है, तो कहीं तेज जीवन शैलीवाला महानगर; परंतु एक बात जो समान रूप से हर कहानी का मुख्य आकर्षण है—वह है लेखन की शैली, जो इतनी रोचक है कि थोड़ी ही देर में हर कहानी आप-बीती लगने लगती है।
ये कहानियाँ ऐसा दर्पण हैं, जिनमें हर पाठक को कहीं-न-कहीं अपना चेहरा दिखाई देगा। इस कहानी संग्रह की एक अनूठी विशेषता यह भी है कि हर कहानी में एक रोमांच का पहलू है, जो पाठक की उत्सुकता को अंत तक बनाए रखता है।
मानव मूल्यों, अभिलाषाओं, नियति, साहस, बलिदान, प्रेम, परिश्रम और संघर्ष की ये कहानियाँ एक बार आप पढ़ना आरंभ करेंगे, तो समाप्त करके ही दम लेंगे।
भारतीय नौसेना में कैप्टन नूर के नाम से प्रसिद्ध ख़ुर्रम शहज़ाद नूर नौसेना की शिक्षा शाखा में रहते हुए पनडुब्बी-रोधी युद्ध शैली के महाप्रशिक्षक हैं। नौसेना मुख्यालय में निदेशक रहने के बाद संप्रति सैनिक स्कूल, भुवनेश्वर में प्राचार्य हैं।बचपन से ही साहित्य सृजन में रुचि रही; हिंदी-अंग्रेजी में कविता तथा हिंदी में कहानियाँ लिखते रहे हैं। अंग्रेजी कविताओं का संकलन ‘Nostalgia’ शीर्षक से प्रकाशित।
शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उड़ीसा राज्य सरकार द्वारा ‘राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार’ से सम्मानित। नौसेना अध्यक्ष एवं कमांडर इन चीफ दोनों से ही नौसेना में अपनी सेवाओं के लिए प्रशंसा मेडल प्राप्त कर चुके हैं।‘सोलह आने सच’ इनका पहला कहानी संग्रह है। हिंदी/उर्दू की गजलों और नज्मों का एक संकलन शीघ्र प्रकाश्य। संप्रति कैप्टन ख़ुर्रम शहज़ाद नूर अपनी आत्मकथा पर आधारित अंग्रेजी उपन्यास ‘32 Kilometers’ पर कार्य कर रहे हैं।