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"भारत के अधिकांश नागरिक आज भी अपने सुनहरे इतिहास को नहीं जानते। एक ऐसा समय था, जब पूरे विश्व ने हमें 'सोने की चिड़िया' के नाम से जाना। हम सभी को, खासकर हमारी युवा पीढ़ी को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि वे क्या गुण थे, क्या परंपराएँ थीं, जिन्होंने हमें इतिहास में विश्वगुरु बनाया; और वे क्या गलतियाँ थीं, ऐसे क्या कारण व क्या परिस्थितियाँ थीं कि विदेशी शक्तियाँ हमें इतने लंबे समय तक अपना गुलाम बनाने में सफल हुईं।
इन्हीं सब विषयों पर सरल, सहज भाषा में विभिन्न जगहों पर बिखरी जानकारी को एक सूत्र में पिरोने वाली यह पुस्तक सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए रोचक व तथ्यात्मक जानकारियाँ उपलब्ध करवाती है। साथ ही यह पुस्तक हमें बताती है कि किस प्रकार ब्रिटिश राज के दौरान योजनाबद्ध ढंग से भारतीय सभ्यता के समूल नाश के ऐसे प्रयास किए गए, जिनके दुष्प्रभाव हम आज भी झेल रहे हैं। दोबारा सोने की चिड़िया बनने के लिए हमें इस इतिहास को जानना होगा, ताकि पहले प्राप्त की गई उपलब्धियों को हम पुनः स्थापित करें और पूर्व में की गई गलतियों को न दोहराएँ। हमारी गलतियों और उपलब्धियों का समसामयिक संदर्भों में एक ऐसा दस्तावेज, जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए।"