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भारत का प्रत्येक नागरिक करदाता है। गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाला आम आदमी माचिस की डिब्बी खरीदते समय भी बिक्री-कर एवं उत्पाद-कर देता है। हमारी सरकार लोगों के द्वारा दिए जानेवाले टैक्स से ही चलती है। स्वभावत: हर व्यक्ति सरकारी विभागों एवं एजेंसियों द्वारा की जा रही काररवाइयों की जानकारी चाहता है; क्योंकि इनका आम आदमी के जीवन पर प्रत्यक्ष असर पड़ता है। सरकारी विभागों एवं एजेंसियों से जनता का संबंध चोली-दामन का है—जन्म प्रमाण-पत्र से मृत्यु प्रमाण-पत्र पाने तक जनता उन पर आश्रित रहती है।
हमारे संविधान में सूचना का अधिकार एक मौलिक अधिकार माना गया है। सूचना पाने का कानून न्यायपालिका और विधायिका पर भी समान रूप से लागू होता है। आम जन उनके कार्य एवं गतिविधियों की जानकारी माँग सकते हैं। सारी दुनिया में सरकारें अपने नागरिकों को अपने कार्य-कलापों की अधिक-से-अधिक जानकारी उपलब्ध करवा रही हैं।
सूचना का अधिकार प्रत्येक जन सूचना अधिकारी, सहायक जन सूचना अधिकारी एवं उन सभी कर्मचारियों के लिए विशेष महत्त्व रखती है, जो इस अधिनियम को लागू करने के लिए उत्तरदायी हैं। सरल, सुगम एवं बोधगम्य भाषा में लिखी यह पुस्तक पाठकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी, जानकारीपरक एवं पठनीय है।
प्रकाश कुमार(आई.ए.एस.)
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें दिल्ली सरकार में ‘सूचना का अधिकार’ अधिनियम लागू करने का विशेष श्रेय प्राप्त है और वे इस अधिनियम को कारगर रूप में लागू करने के लिए सदा प्रयत्नशील रहे हैं। उन्होंने इस संबंध में के.बी. राय के साथ मिलकर अंग्रेजी में दो पुस्तकें भी लिखी हैं। इसके अलावा उच्च अधिकारियों व अन्य कर्मचारियों को इस विषय में प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशालाओं, संगोष्ठियों आदि का आयोजन किया है।
के.बी. राय
दिल्ली सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग में सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। इससे पूर्व वे इसी विभाग में उपनिदेशक के पद पर सेवारत रहे। दिल्ली में सूचना का अधिकार अधिनियम-2001 लागू होने पर वे इस विषय में महत्त्वपूर्ण योगदान देते आ रहे हैं। उन्होंने इस अधिनियम को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ-साथ श्री प्रकाश कुमार के साथ मिलकर अंग्रेजी में दो पुस्तकें भी लिखी हैं तथा कई कार्यशालाओं के माध्यम से अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया है।