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विश्व में सबसे अधिक बोली जानेवाली पाँच-छह भाषाओं में से एक स्पेनिश भाषा का भी कथा-साहित्य काफी समृद्ध माना जाता है; लेकिन हिंदी में इस भाषा के साहित्य का अनुवाद बहुत कम हुआ है-पुस्तकाकार में तो नहीं के बराबर ।
इसी कमी को दूर करने के उद्देश्य से विदेशी कथा अनुवाद श्रृंखला के अंतर्गत इस पुस्तक में स्पेनिश भाषा के शीर्षस्थ और दिग्गज कहानीकारों की चुनिंदा कहानियाँ अनूदित करके प्रस्तुत की गई हैं । इनमें ' नंगा राजा ' और ' भिखारी ने मुख्य पादरी की कृपा को उत्तेजित कैसे किया?' शीर्षक कहानियाँ तो क्रमश : छह सौ और चार सौ वर्षों से भी अधिक प्राचीन हैं । कल्पना की जा सकती है कि इन्हें ढूँढने और तराशने में कितना सघन प्रयास किया गया होगा । शेष कहानियाँ भी लगभग एक सौ पचास वर्ष पुरानी हैं । इनके माध्यम से न सिर्फ स्पेनिश साहित्य क्रा स्तराकलन करने बल्कि पिछले छह सौ वर्षों की (वहाँ की) सभ्यता, संस्कृति तथा जीवन-शैली को समझने में भी साहित्य-प्रेमियों, प्राध्यापकों, छात्रों तथा शोधकर्ताओं को काफी सहायता मिलेगी ।
भद्रसैन पुरी का जन्म पंजाब के एक प्रतिष्ठित परिवार में 2 सितंबर, 1916 को सुलतानपुर लोधी (कपूरथला) में हुआ । डी. ए. वी. मिडिल स्कूल, रावलपिंडी (1923 - 30), रामजस हाई स्कृल नं 3, दिल्ली ( 1930 - 33) तथा हिंदू कॉलेज, दिल्ली ( 1933 - 37) में शिक्षा पाप्त की ।
1981 से 1987 तक सुपर बाजार पत्रिका, दिल्ली का अवैतनिक संपादन किया । तांत्रिक योग के रहस्यों को जानने के लिए 1987 - 88 में संपूर्ण भारत का भ्रमण किया ।
श्री पुरी एक मँजे हुए आइ भनेता, निर्देशक एवं नाटककार हैं । वर्तमान में मसिक पत्रिका ' वैदिक प्रेरणा ' का अवैतनिक संपादन कर रहे हैं ।
आपके द्वारा अनुवादित ' मोपासाँ की श्रेष्ठ कहानियाँ '. ' सोमरसेट मर्मि की चुनिंदा कहानियाँ ', ' ओ. हेनरी की रोचक कहानियाँ ', ' प्रतिनिधि जर्मन कहानियाँ ', ' प्रतिनिधि रूसी कहानियाँ'. ' प्रतिनिधि यूरोपीय देशों की कहानियाँ ' तथा ' स्पेन एवं इंग्लैंड की प्रतिनिधि कहानियाँ ' प्रकाशित हो चुकी हैं । इनकी अपनी कहानियाँ, एकांकी, संस्मरण, दर्शन परिचय तथा रत्न चिकित्सा भी शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहो हैं ।