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"भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एक कुशल प्रशासक, दूरदर्शी राजनेता, सहृदय कवि-लेखक के रूप में पूरे देश में लोकप्रिय हैं। सबसे लंबे समय तक गुजरात प्रदेश का मुख्यमंत्री रहना उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने प्रदेश के चहुँमुखी विकास हेतु अनेक जनोपयोगी योजनाएँ प्रारंभ कीं।
लगातार दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने श्री नरेंद्रभाई मोदी ने अपनी लोककल्याणकारी नीतियों, सर्वसमावेशी दृष्ïिट और दृढ़ निर्णय-क्षमता के बल पर भारतवर्ष के चहुँमुखी विकास के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। आंतरिक और बाहï्य सुरक्षा के प्रति उनकी सचेत दृष्ïिट ने समाज को एक निश्चिंतता प्रदान की है। विश्व के अनेक राष्ïट्राध्यक्ष नरेंद्रभाई की विशिष्ïट कार्यशैली से प्रभावित हैं और इसलिए भारत के प्रति उनकी दृष्ïिट भी सकारात्मक हुई है। भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और नए भारत के निर्माण के वे शिल्पकार हैं।
गुजराती के अतिरिक्ïत हिंदी, पंजाबी, बाँग्ला, मराठी, अंग्रेजी भाषा जाननेवाले नरेंद्रभाई की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं, जो अनेक भाषाओं में अनूदित भी हुई हैं।
गुजरात के मेहसाना जिले के वडनगर में जनमे श्री मोदी राजनीतिशास्त्र में एम.ए. हैं। स्वयंसेवक के रूप में संघ संस्कार एवं संगठन वृत्ति के साथ अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए1999 में वे भाजपा के अखिल भारतीय महामंत्री बने। सोमनाथ-अयोध्या रथयात्रा हो या कन्याकुमारी से कश्मीर की एकता यात्रा, उनकी संगठन शक्ति के उच्च कोटि के उदाहरण हैं। गुजरात का नवनिर्माण आंदोलन हो या आपातकाल के विरुद्ध भूमिगत संघर्ष, प्रश्न सामाजिक न्याय का हो या किसानों के अधिकार का, उनका संघर्षशील व्यक्तित्व सदैव आगे रहा है।
ज्ञान-विज्ञान के नए-नए विषयों को जानना उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है। उन्होंने जीवन-विकास में परिभ्रमण को महत्त्वपूर्ण मानते हुए विश्व के अनेक देशों का भ्रमण कर बहुत कुछ ज्ञानार्जन किया है।
अक्तूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पद सँभालने के बाद उन्होंने प्रांत के चहुँमुखी विकास हेतु अनेक योजनाएँ प्रारंभ कीं—समरस ग्राम योजना, विद्या भारती, कन्या केलवानी योजना, आदि। स्वामी विवेकानंद के सिद्धांत ‘चरैवेति-चरैवेति’ पर अमल करते हुए निरंतर विकास कार्यों में जुटे श्री मोदी को बीबीसी तथा बिजनेस स्टैंडर्ड ने ‘गुजरात का इक्कीसवीं सदी का पुरुष’ बताया है।
आज भारत में ‘सुशासन’ की गहन चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री के रूप में कम समय में ही श्रेष्ठ प्रशासक और सुशासक के रूप में भारत की प्रथम पंक्ति के नेताओं में उनका नाम लिया जाता है।