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यह पुस्तक प्रसिद्ध रिसर्च एनालिस्ट महेश चंद्र कौशिक की नवीनतम पुस्तक है। वर्तमान में शेयर बाजार में पुरानी तकनीकें लगभग निष्प्रभावी हो चुकी है, क्योंकि डिस्काउंट ब्रोकर हाउसेज के आ जाने से व बाजार में ऑप्शन व डिलीवरी में रिटेल निवेशकों की भागीदारी के बढ़ जाने से अब वह समय चला गया, जब निवेशक किसी शेयर की बड़ी मात्रा को खरीदकर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न के लिए होल्ड करते थे। वर्तमान समय में ज्यादातर रिटेल निवेशक या तो इंट्रा-डे में ट्रेड करके एक ही दिन में मुनाफा समेट रहे हैं या ऑप्शन में सात दिवस की छोटी एक्सपायरी की कॉल पुट में पैसा बना रहे हैं या स्विंग ट्रेड में छोटे प्रॉफिट ले रहे हैं, जिससे मार्केट में छोटे दायरे में उतार-चढ़ाव ज्यादा होते हैं।
वर्तमान पुस्तक इसी संदर्भ में लिखी गई है। यह अपने प्रकार की अकेली ऐसी पुस्तक है, जिसमें इंट्रा-डे, ऑप्शन ट्रेड व स्विंग ट्रेड को शामिल करके लेखक ने गागर में सागर समेटने का सार्थक प्रयास किया है। इस पुस्तक में लेखक ने अपने 15 वर्ष के ट्रेडिंग अनुभव को 41 टिप्स के माध्यम से साझा किया है, जो शेयर बाजार में प्रॉफिट कमाने के इच्छुक छोटे व बड़े सभी निवेशकों के लिए आवश्यक है।
पुस्तक की प्रत्येक टिप विचारोत्तेजक है, जो निवेशक के दिमाग में आशा व विश्वास की नई रोशनी जगाकर उसकी शेयर बाजार पर नई-नई तकनीकों की तलाश को पूर्ण विराम देती है, क्योंकि पुस्तक में पूर्णतः अनुशासित तरीके से निवेश करने की सभी आधुनिक तकनीकों पर प्रकाश डाला गया है।
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अनुक्रम
प्रस्तावना —Pgs. 7
आभार —Pgs. 9
1. ट्रेड करने से पहले रणनीति जरूर बनाइए —Pgs. 13
2. छोटे पौधे से बरगद का बड़ा पेड़ उगाएँ —Pgs. 14
3. सिर्फ छोटी ट्रेड ही लें —Pgs. 17
4. मुनाफे का टारगेट हमेशा छोटा रखें और स्टॉप लॉस उससे भी छोटा रखें —Pgs. 20
5. लाभ व स्टॉप लॉस का अनुपात 2:1 हो, यह अनिवार्य है —Pgs. 23
6. ज्यादा वॉल्यूम वाले शेयरों में ही ट्रेड करें —Pgs. 26
7. शेयर कभी अच्छे या बुरे नहीं होते—या तो गिरनेवाले शेयर होते हैं या बढ़नेवाले —Pgs. 28
8. ट्रेडिंग के अलग-अलग सेगमेंट्स को मिक्स न करें —Pgs. 30
9. अपने लालच एवं डर पर नियंत्रण रखें —Pgs. 34
10. इंट्रा-डे में गिरती हुई पोजीशन को एवरेज आउट नहीं करें —Pgs. 36
11. ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा इंडीकेटर कौन सा है —Pgs. 39
12. ध्यान रखें, आपके ट्रेड को कोई देख रहा है —Pgs. 41
13. इंट्रा-डे की जगह बी.टी.एस.टी. या स्विंग ट्रेड ही करें —Pgs. 45
14. विनिंग स्विंग ट्रेड का शेयर जीनियेस मैथड —Pgs. 46
15. VWAP से ब्रेकआउट मैथड —Pgs. 49
16. स्टॉप लॉस का स्मॉल ट्रेड मैथड —Pgs. 51
17. लिवरेज ट्रेडिंग की मानसिकता पर नियंत्रण —Pgs. 53
18. मार्केट से लड़िए मत —Pgs. 56
19. इंट्रा-डे ट्रेडिंग व लॉन्ग टर्म निवेश मिक्स न करें —Pgs. 59
20. मार्केट का ट्रेंड देखकर ट्रेड करें —Pgs. 61
21. शेयर का ट्रेंड देखकर निवेश करें —Pgs. 63
22. स्विंग ट्रेड का VWAP मैथड अपनाएँ —Pgs. 64
23. स्विंग ट्रेड में एक शेयर में कितनी राशि लगाएँ —Pgs. 67
24. प्रॉफिट टारगेट का निर्धारण —Pgs. 70
25. सिर्फ इंडेक्स स्टॉक्स में ही स्विंग ट्रेड करें —Pgs. 74
26. इंट्रा-डे को बी.टी.एस.टी. या स्विंग ट्रेड में नहीं बदलें —Pgs. 76
27. शेयर बाजार में लालच बुरी बला है —Pgs. 77
28. अपने बुरे निवेश से कैसे बाहर निकलें —Pgs. 79
29. बोनस के चक्कर में मत पड़िए —Pgs. 82
30. एवरेज आउट करना हर बार बुरा नहीं होता —Pgs. 84
31. या तो सच्चे लंबी अवधि के निवेशक बनें या स्विंग ट्रेड करें —Pgs. 85
32. इंडेक्स शेयरों में निवेश क्यों करना चाहिए —Pgs. 87
33. ट्रेडिंग व स्विंग ट्रेडिंग के लिए भी निफ्टी के शेयरों का चयन करें —Pgs. 88
34. इंडेक्स की तरह स्विंग ट्रेड के पोर्टफोलियो की समीक्षा करें —Pgs. 89
35. ट्रेडिंग के लिए शेयरों का चयन कैसे करें —Pgs. 90
36. शेयर कभी लगातार नहीं गिरते —Pgs. 92
37. डिविडेंड देनेवाले शेयरों में ट्रेडिंग करने का फायदा —Pgs. 95
38. इन्कम टैक्स हार्वेस्टिंग से कैपिटल गेन्स की बचत —Pgs. 98
39. ऑप्शन ट्रेडिंग में 4 स्ट्रोक मैथड का प्रयोग करें —Pgs. 101
40. इंट्रा-डे से बेहतर ऑप्शन ट्रेडिंग है —Pgs. 105
41. मार्केट में खबरों एवं कथित विशेषज्ञों की राय पर ट्रेड नहीं करें —Pgs. 107
भारतीय संस्कृति के अध्येता और संस्कृत भाषा के विद्वान् श्री सूर्यकान्त बाली ने भारत के प्रसिद्ध हिंदी दैनिक अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ के सहायक संपादक (1987) बनने से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। नवभारत के स्थानीय संपादक (1994-97) रहने के बाद वे जी न्यूज के कार्यकारी संपादक रहे। विपुल राजनीतिक लेखन के अलावा भारतीय संस्कृति पर इनका लेखन खासतौर से सराहा गया। काफी समय तक भारत के मील पत्थर (रविवार्ता, नवभारत टाइम्स) पाठकों का सर्वाधिक पसंदीदा कॉलम रहा, जो पर्याप्त परिवर्धनों और परिवर्तनों के साथ ‘भारतगाथा’ नामक पुस्तक के रूप में पाठकों तक पहुँचा। 9 नवंबर, 1943 को मुलतान (अब पाकिस्तान) में जनमे श्री बाली को हमेशा इस बात पर गर्व की अनुभूति होती है कि उनके संस्कारों का निर्माण करने में उनके अपने संस्कारशील परिवार के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज और उसके प्राचार्य प्रोफेसर शांतिनारायण का निर्णायक योगदान रहा। इसी हंसराज कॉलेज से उन्होंने बी.ए. ऑनर्स (अंग्रेजी), एम.ए. (संस्कृत) और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से ही संस्कृत भाषाविज्ञान में पी-एच.डी. के बाद अध्ययन-अध्यापन और लेखन से खुद को जोड़ लिया। राजनीतिक लेखन पर केंद्रित दो पुस्तकों—‘भारत की राजनीति के महाप्रश्न’ तथा ‘भारत के व्यक्तित्व की पहचान’ के अलावा श्री बाली की भारतीय पुराविद्या पर तीन पुस्तकें—‘Contribution of Bhattoji Dikshit to Sanskrit Grammar (Ph.D. Thisis)’, ‘Historical and Critical Studies in the Atharvaved (Ed)’ और महाभारत केंद्रित पुस्तक ‘महाभारतः पुनर्पाठ’ प्रकाशित हैं। श्री बाली ने वैदिक कथारूपों को हिंदी में पहली बार दो उपन्यासों के रूप में प्रस्तुत किया—‘तुम कब आओगे श्यावा’ तथा ‘दीर्घतमा’। विचारप्रधान पुस्तकों ‘भारत को समझने की शर्तें’ और ‘महाभारत का धर्मसंकट’ ने विमर्श का नया अध्याय प्रारंभ किया।