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नव जीवन को समुन्नत और श्रेष्ठ बनाने तथा परमात्मा की कृपा पाने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने अनेक उपाय विकसित किए। मंत्र, प्रार्थना और स्तुति उनमें से एक है।
वेदों में हजारों मंत्र विभिन्न देवी-देवताओं को संबोधित किए गए हैं। ये सभी देवी-देवता एक ही परमात्मा के विभिन्न नाम-रूप हैं। भक्त सांसारिक दुःखों से छुटकारा पाने और भवसागर से पार जाने के लिए श्रद्धा और भक्ति के साथ किसी भी देवी-देवता की स्तुति कर सकता है। छोटी सी प्रार्थना हमारे जीवन का रूपांतरण कर देती है।
विदुषी लेखिका ने भक्तों के आध्यात्मिक उत्थान के लिए 160 लोकप्रिय मंत्रों और प्रार्थनाओं का संकलन उनके हिंदी-अंग्रेजी अर्थ सहित ‘स्तुति सुमन’ में किया है। इसमें इष्ट देवों की बहुलता और स्तुतियों की विविधता का पूरा ध्यान रखा गया है। जीवन के हर क्षण को धर्ममय बनाने के लिए जागरण, भोजन और शयन के मंत्रों को समाविष्ट किया गया है। गायत्री मंत्र, ओऽम्कार मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, सर्वकल्याण मंत्र, नवग्रह मंत्र और दीप-स्तुति आदि के द्वारा प्रार्थना के हर पक्ष को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
हमें विश्वास है कि विभिन्न देवी-देवताओं और पूजा-अनुष्ठानों से संबंधित ये प्रार्थनाएँ हमारे समाज के आध्यात्मिक उत्थान में सहायक सिद्ध होंगी।
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अनुक्रम
आमुख —Pgs. 6
Preface —Pgs. 7
भूमिका —Pgs. 8
Introduccion —Pgs. 11
एक और भेंट —Pgs. 14
Foreword —Pgs. 16
1. वैदिक मंत्र (Vaidika-Mantra)
1. ॐ भूर्भुव स्व: —Pgs. 25
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे —Pgs. 26
3. ॐ पूर्णमद: —Pgs. 27
4. ॐ असतो मा सद्गमय —Pgs. 28
5. ॐ सह नाववतु —Pgs. 29
6. ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा: —Pgs. 30
7. ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षं शान्ति: —Pgs. 32
2. देव-स्तुति (Deva-Stuti)
8. गणेश-स्तुति (Ganesa-Stuti) —Pgs. 37
9. विष्णु-स्तुति (ViSnu-Stuti) —Pgs. 54
10. शिव-पार्वती-स्तुति (Siva-Parvati-Stuti) —Pgs. 73
11. रुद्राष्टकम् (RudraStakam) —Pgs. 89
12. राम-स्तुति (Rama-Stuti) —Pgs. 102
13. कृष्ण-स्तुति (KrSna-Stuti) —Pgs. 123
14. हनुमत्-स्तुति (Hanumat-Stuti) —Pgs. 131
15. सूर्य-स्तुति (Surya-Stuti) —Pgs. 145
16. सूर्याष्टकम् (SuryaStakam) —Pgs. 149
17. गुरु-स्तुति (Guru-Stuti) —Pgs. 158
3. देवी-स्तुति (Devi-Stuti)
18. दुर्गा-स्तुति (Durga-Stuti) —Pgs. 167
19. काली-स्तुति (Kali-Stuti) —Pgs. 183
20. सरस्वती-स्तुति (Sarasvati-Stuti) —Pgs. 185
21. लक्ष्मी-स्तुति (LakSmi-Stuti) —Pgs. 196
22. महालक्ष्मी-अष्टकम् (MahalakSmi-ASatkam) —Pgs. 201
23. सीता-स्तुति (Sita-Stuti) —Pgs. 210
4. अपराध-क्षमापन-स्तुति (Aparadha-Ksmapan-Stuti) —Pgs. 211
5. दैनिक व्यवहार-स्तुति (Dainika vyavahara-Stuti)
24. प्रात:-स्तुति (PrataH-Stuti) —Pgs. 225
25. ॐ कार-स्तुति (Aumkara-Stuti) —Pgs. 227
26. नवग्रहस्तुति (Navgraha-Stuti) —Pgs. 228
27. दीप-स्तुति (Dip-Stuti) —Pgs. 229
28. भोजन-समय-स्तुति (Bhojan-Samaya-Stuti) —Pgs. 231
29. शयन-समय-स्तुति (Sayana-Samaya-Stuti) —Pgs. 233
6. सद्भावना-स्तुति (Sadbhavana-Stuti) —Pgs. 237
डॉ. विनोद बाला अरुण मनोविज्ञान, हिंदी और संस्कृत में एम.ए. हैं। उन्होंने ‘वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस के नैतिक मूल्य और उनका मॉरीशस के हिंदू समाज पर प्रभाव’ पर पी-एच.डी. की है। वे महात्मा गांधी संस्थान में संस्कृत और भारतीय दर्शन की वरिष्ठ व्याख्याता रह चुकी हैं। डॉ. विनोद बाला अरुण भारत और मॉरीशस के संयुक्त सहयोग से स्थापित ‘विश्व हिंदी सचिवालय’ की प्रथम महासचिव रहीं। सेवा-निवृत्ति के बाद संप्रति ‘रामायण सेंटर’ की उपाध्यक्षा का दायित्व मानद रूप में सँभाल रही हैं। उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियाँ बहुआयामी हैं। वे सामाजिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक विषयों पर प्रवचन करती हैं। रेडियो पर नवनीत, चयनिका, प्रार्थना, जीवन ज्योति और आराधना कार्यक्रमों में क्रमशः भक्त कवियों के पदों की व्याख्या, हिंदी साहित्य की विवेचना, उपनिषदों की व्याख्या द्वारा भारतीय दर्शन का तत्त्व चिंतन व संस्कृत की सूक्तियों का आधुनिक संदर्भों में मूल्यांकन और भक्ति गीतों का भाव निरूपण करती हैं।
डॉ. अरुण ने ‘मॉरीशस की हिंदी कथा यात्रा’ में मॉरीशस की हिंदी कथा का आलोचनात्मक इतिहास लिपिबद्ध किया है।
डॉ. अरुण अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित हैं, जिनमें ‘मानस संगम साहित्य सम्मान’, विश्व हिंदू परिषद्, मॉरीशस द्वारा ‘धर्म भूषण’, अखिल विश्व हिंदी समिति, न्यूयॉर्क द्वारा ‘साहित्य शिरोमणि’ और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का ‘प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण सम्मान’ प्रमुख हैं।