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यदि आप अपनी असफलताओं से सीखते हैं तो फिर आप उस असफलता को असफलता नहीं कह सकते, बल्कि उसे सीखने की एक प्रक्रिया कहेंगे। इस सीख को अगली योजना के लिए प्रयोग कीजिए, फिर उसका अनुकूलन कीजिए और बाधाओं पर विजय प्राप्त कीजिए।
भावनात्मक रूप से संवेदनशील व्यक्ति इस बात पर अडिग रहेंगे कि क्या कहा जा सकता था या क्या कहा जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति का जीवन में प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि उन्हें अपने निश्चित क्षेत्र में सफलता मिले। उन्हें हमेशा गुप्त रूप से प्रशंसा प्राप्त करने की इच्छा होती है, लेकिन वे कभी भी श्रोताओं के बीच में प्रशंसा किया जाना पसंद नहीं करते।
समस्या यह है कि अधिकांश लोगों में सुबह के समय जागने पर सबसे पहले उन सूचनाओं को याद करने की क्षमता नहीं होती है और आधी रात में इसी सपने के कारण उनकी आँख खुलती है तो वे उन सूचनाओं को लिखने में विफल रहते हैं। सूचनाएँ अल्पावधि की स्मृति में हस्तांतरित हो जाती हैं, इसलिए उसे आप तब तक दोबारा याद नहीं कर सकते, जब तक कि कोई निश्चित परिस्थिति उसे वापस लाने के लिए उसे सक्रिय नहीं करती है।
—इसी पुस्तक से
जीवन में सफल होने के व्यावहारिक सूत्र देती है ‘Subconscious Mind से सुपर सफलता'।
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।