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सुभद्रा कुमारी चौहान आधुनिक हिंदी साहित्य की ऐसी लोकप्रिय कवयित्री हैं, जिनकी कविताओं ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भारतीयों के होंठों का गीत बनकर गाँव-गाँव, गली-गली स्वाधीनता का अलख जगाया। उन्होंने ऐतिहासिक और राष्ट्रीय भावनाओं को समसामयिक व राजनीतिक जीवन के तात्कालिक संदर्भों से जोड़ा। उनकी कविता में राष्ट्रीयता 'प्रलयंकारी उच्च घोषणाएँ' बनकर नहीं आई, वरन उसने संघर्षमयी चेतना के रूप में आकार पाया। देशभक्ति की निर्भीक अभिव्यक्ति से साहित्य और राजनीति में उन्होंने अपना विशेष स्थान बनाया।
जन्म : 31 अक्तूबर, 1965।
शिक्षा : हिंदी साहित्य में एम.ए., पोस्ट एम.ए., अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा, पोस्ट एम.ए. अनुप्रयुक्त (हिंदी) भाषा विज्ञान डिप्लोमा, पोस्ट एम.ए. अनुप्रयुक्त (हिंदी) भाषा विज्ञान उच्च डिप्लोमा, बैचलर डिग्री इन मास कम्युनिकेशन, मास्टर डिग्री इन मास कम्युनिकेशन।
कृतियाँ : मैं भगतसिंह बोल रहा हूँ, हिंदी कोश साहित्य, लाल किले से, प्रेमचंद सूक्ति कोश, तुलसी सूक्ति कोश, प्रसाद सूक्ति कोश, शरत सूक्ति कोश, श्री नरेश मेहता सूक्ति कोश, स्वामी रामतीर्थ सूक्ति कोश, रवींद्रनाथ टैगोर सूक्ति कोश, अमृतलाल नागर सूक्ति कोश, सुभाष चंद्र बोस सूक्ति कोश, निराला सूक्ति कोश, मुक्तिबोध सूक्ति कोश,
प्रतिश्रुति : श्रीनरेश मेहता की समग्र कहानियाँ, मेरे साक्षात्कार : श्रीनरेश मेहता, महीप सिंह रचनावली (दस खंड), कुसुम अंसल रचनावली (सात खंड) (संपादित कृतियाँ), तुलसीनिर्देशिका, रामचरित मानस की सूक्तियों का अध्ययन, रामचरित मानस में शिक्षा दर्शन में संपादन सहयोग, तीसरा प्रभाकर, भारतीय मीडिया : अंतरंग परिचय, बच्चन : जाने के बाद एवं छोटे हाथ के रंग बड़े हाथ के संग में सहयोगी लेखक।
संप्रति : स्वतंत्र लेखन।