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परोपकारी, उद्यमी, कंप्यूटर वैज्ञानिक, इंजीनियर, टीचर—सिर पर ऐसे कई ताज सजाए सुधा मूर्ति इन सबसे कहीं अधिक एक असाधारण कहानीकार हैं। साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण अवार्ड’, ‘पद्मश्री’, कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार का ‘अत्तिमब्बे पुरस्कार’ और ‘रेमंड क्रॉसवर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ के साथ उनके खजाने में बड़ों के लिए काल्पनिक, अकाल्पनिक उपन्यास, बच्चों की पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत और तकनीकी पुस्तकें शामिल हैं।
यह पुस्तक उनके साहित्यिक सफर का मंगलगान है। विभिन्न संग्रहों से उनकी सर्वप्रिय कहानियों को चुनने के साथ ही कुछ नई कहानियों को एक विचारशील परिचय के साथ समेटे यह एक ऐसी पुस्तक है, जो अपनी लेखिका के समान ही, सभी अर्थों में बहुआयामी है।
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अनुक्रम
परिचय — Pgs. 7
1. कई कहानियों की एक कहानी — Pgs. 13
2. अम्माँ, क्या यह आपका कर्तव्य नहीं है? — Pgs. 28
3. ईमानदारी का संबंध संस्कार से है — Pgs. 34
4. लाल चावल का भंडार — Pgs. 38
5. आलसी पोर्तादो — Pgs. 42
6. एक अलिखित जीवन — Pgs. 49
7. बँटवारे की रेखा — Pgs. 59
8. पुण्यभूमि भारत — Pgs. 69
9. बिसलरी के बंधन — Pgs. 75
10. वृद्ध और वृद्धाश्रम — Pgs. 80
11. आयु बंधन नहीं — Pgs. 85
12. रहमान की अब्बा — Pgs. 90
13. कैटल क्लास — Pgs. 99
14. बूढ़े बाबा और उनके भगवान् — Pgs. 107
15. भिखारी से सीख — Pgs. 111
16. सौ पुत्रों की माँ बनो — Pgs. 115
17. विचार हेतु भोजन — Pgs. 127
18. बंबई से बंगलौर — Pgs. 139
19. कामयाबी की कीमत — Pgs. 150
20. लड़कों को कैसे परास्त करें — Pgs. 157
21. तीन हजार टाँके — Pgs. 170
22. परोपकार का अर्थ — Pgs. 18
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और वर्तमान में इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुधा मूर्ति ने अंग्रेजी एवं कन्नड़ भाषा में उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, लघुकथाओं के अनेक संग्रह, अकाल्पनिक लेख एवं बच्चों हेतु चार पुस्तकें लिखीं। सुधा मूर्ति को साहित्य का ‘आर.के. नारायणन पुरस्कार’ और वर्ष 2006 में ‘पद्मश्री’ तथा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टीमाबे पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। अब तक भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित।