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“मैं खुश हूँ, क्योंकि मेरा परिवार है, अच्छे दोस्त हैं, मेरे पास अच्छी नौकरी है, पैसा है और सुरक्षा है।” लेकिन खुशी के ये सारे कारण अस्थायी होते हैं। ये हवा के झोंके की तरह आते हैं और जब आते-जाते खुशी हमारी पकड़ में नहीं आती, तो हम उसकी तलाश में व्यसनों में पड़ जाते हैं। इस अवचेतन आशा के साथ कि इससे हमें आनंद मिलेगा। खुशी के बाहरी कारण कभी भी वास्तविक आनंद नहीं दे सकते। प्रसन्नता वास्तव में चेतन की उस आंतरिक अवस्था को कहते हैं, जो यह तय करती है कि हम इस दुनिया को किस दृष्टि से देखते और अनुभव करते हैं।
—इसी पुस्तक से
विश्वविख्यात मोटिवेशन गुरु एवं विचारक डॉ. दीपक चोपड़ा के विशद अनुभव पर आधारित यह पुस्तक हमें अपने आपको जानने का मार्ग खोलती है—मैं कौन हूँ? कहाँ से आया हूँ? मृत्यु के बाद कहाँ जाऊँगा? उन्होंने प्राचीन वेदांत और आधुनिक विज्ञान की मदद से हमें प्रकृति से तादात्म्य स्थापित कर सुखमय जीवन जीने के लिए 12 नियम बताए हैं।
निज को जानने-समझने का बोध करानेवाली अंतरराष्ट्रीय बेस्ट सेलर पुस्तक।
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अनुक्रम
1. मुझे या चाहिए? — 13
2. मैं कौन हूँ — 20
3. मैं यों भूल जाता हूँ कि मैं कौन हूँ? — 27
4. मैं अपने यथार्थ की रचना में हिस्सेदार कैसे बनूँ — 34
5. मर के मैं कहाँ जाऊँगा? — 48
6. स्थायी प्रसन्नता की कुंजी या है? — 58
7. मैं बेहद सहजता से कैसे जी सकता हूँ? — 69
8. मैं पूर्ण जाग्रत् कब होऊँगा? — 76
9. शति या है और मैं इसे कैसे प्राप्त करूँ? — 89
10. स्वाधीनता या है और इसका मैं कैसे अनुभव करूँ? — 99
11. सौम्यता या है और इसमें मैं कैसे जी सकता हूँ? — 109
12. अनंत — 119
13. परिशिष्ट — 122
14. वेदांत के बारे में
दीपक चोपड़ा आत्मिक स्वास्थ्य व मानव-शक्यता के एक विश्वविख्यात पथ-प्रदर्शक हैं। उनकी पुस्तक ‘सेवन स्प्रीचुअल लॉज ऑफ सक्सेस’ को ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने सर्वाधिक बिकनेवाली पुस्तकों की श्रेणी में गिनाया है। इसके अतिरिक्त वह मन, शरीर व आत्मा से संबंधित विषयों पर अनेक पुस्तकों व श्रव्य कार्यक्रमों के रचनाकार हैं। इनकी पुस्तकें पचास से अधिक भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। शांति, स्वास्थ्य व कल्याण का प्रचार करते हुए श्री चोपड़ा संसार के अनेक देशों का भ्रमण कर चुके हैं।
श्री चोपड़ा कार्ल्सबैड, कैलीफोर्निया (अमेरिका) में दीपक चोपड़ा सेंटर के संस्थापक व कार्यकारी निदेशक हैं।