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Suno Bachcho, Adivasi Sangharsh ke Nayak Shibu Soren (Guruji) ki Gatha    

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Author Anuj Kumar Sinha
Features
  • ISBN : 9789390366767
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Anuj Kumar Sinha
  • 9789390366767
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2023
  • 40
  • Soft Cover
  • 75 Grams

Description

"शिबू सोरेन यानी गुरुजी यानी दिशोम गुरु झारखंड आंदोलन और झारखंड के सबसे बड़े आदिवासी नेता रहे हैं। उन्होंने झारखंड राज्य के लिए 40 साल से ज्यादा संघर्ष किया। अधिकांश समय जंगलों में रहकर संघर्ष में काटा, आदिवासियों को महाजनों के चंगुल से मुक्ति दिलाई। लेकिन देश उनके इस संघर्ष को नहीं जानता। युवा पीढ़ी को तो पुराने शिबू सोरेन के बारे में जानकारी ही नहीं है।

इस पुस्तक में यही प्रयास किया गया है कि देश-दुनिया का परिचय असली शिबू सोरेन से कराया जाए। इसलिए इस पुस्तक में उन घटनाओं और संघर्ष को प्रमुखता से उठाया गया है, जिसे लोग नहीं जानते हैं । पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन कैसे आंदोलन में कूदे, कैसे वे कई बार मौत के मुँह से जाने से बचे, कैसे उन्होंने पारसनाथ की पहाड़ियों की तलहटी में बसे गाँवों में अपना ठिकाना बनाकर आदिवासियों को एकजुट किया-- यह सारी जानकारी इस पुस्तक में है।

आपातकाल के बाद समर्पण कर जंगल से बाहर आना, जेल जाना, वहाँ से निकलकर बाद में इंदिरा गांधी से मुलाकात करने तक की जानकारी इस पुस्तक में है। शिबू सोरेन के पुराने साथियों को खोज- खोजकर उनसे बात करके जानकारी हासिल की गई। उनके राजनीतिक जीवन का भी विस्तार से जिक्र है। शिबू सोरेन के स्वभाव, उनकी जीवन शैली आदि की भी चर्चा पुस्तक में है। शिबू सोरेन ने कैसे और कब-कब चुनाव लड़ा, कब मंत्री- मुख्यमंत्री बने, कैसे वे संकट में भी फैसे, कैसे वे इससे उबरे, इन सभी बातें की चर्चा पुस्तक में है।

इस पुस्तक को पढ़ने से शिबू सोरेन की पूरी जिंदगी, उनके संघर्ष आदि की संपूर्ण जानकारी पाठक को मिल जाए, ऐसा प्रयास रहा है। पुस्तक में कुछ रोमांचक और दुर्लभ तसवीरें इसकी रोचकता को और बढ़ाती है।"

The Author

Anuj Kumar Sinha

झारखंड के चाईबासा में जन्म। लगभग 35 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। आरंभिक शिक्षा हजारीबाग के हिंदू हाई स्कूल से। संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से गणित (ऑनर्स) में स्नातक। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की। जेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्स.आइ.एस.एस.) राँची से ग्रामीण विकास में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। 1987 में राँची प्रभात खबर में उप-संपादक के रूप में योगदान। 1995 में जमशेदपुर से प्रभात खबर के प्रकाशन आरंभ होने पर पहले स्थानीय संपादक बने। 15 साल तक लगातार जमशेदपुर में प्रभात खबर में स्थानीय संपादक रहने का अनुभव। 2010 में वरिष्ठ संपादक (झारखंड) के पद पर राँची में योगदान। वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यकारी संपादक के पद पर कार्यरत। स्कूल के दिनों से ही देश की विभिन्न विज्ञान पत्रिकाओं में लेखों का प्रकाशन। झारखंड आंदोलन या फिर झारखंड क्षेत्र से जुड़े मुद्दे और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन लेखन के प्रमुख विषय। कई पुस्तकें प्रकाशित। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तकें—‘प्रभात खबर : प्रयोग की कहानी’, ‘झारखंड आंदोलन का दस्तावेज : शोषण, संघर्ष और शहादत’, ‘बरगद बाबा का दर्द’, ‘अनसंग हीरोज ऑफ झारखंड’, ‘झारखंड : राजनीति और हालात’, ‘महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा’ एवं ‘झारखंड के आदिवासी : पहचान का संकट’।
पुरस्कार : शंकर नियोगी पुरस्कार, झारखंड रत्न, सारस्वत हीरक सम्मान, हौसाआइ बंडू आठवले पुरस्कार आदि।

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