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‘सनरेज फॉर ट्यूजडे’ का अंग्रेजी प्रकाशन सन् 2006 में हुआ था। टंडन दंपती की यह तीसरी पुस्तक थी। अब सन् 2017 तक ये इन छह पुस्तकों का प्रकाशन कर चुके हैं—Sunrays for Sunday, Sunrays for Monday, Sunrays for Tuesday, Sunrays for Wednesday, Sunrays for Thursday & Sunrays for Friday. पहली दो पुस्तकें हिंदी व तेलुगु में भी उपलब्ध हैं।
इन सभी पुस्तकों में प्रस्तुत कहानियाँ भगवान् श्री सत्य साईं बाबा के प्रवचनों पर आधारित मानवीय गुणों को सिखाने का एक सूक्ष्म व प्रबल साधन हैं। जो भी व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छे गुण व संस्कार देना चाहता है, उसमें बहुत सहायक हो सकती हैं। इस पुस्तक का शीर्षक सूर्य की किरणों पर आधारित है, क्योंकि प्रेरणा सूर्य की किरणों की तरह होती है। समय-समय पर हम सब को प्रेरणा की जरूरत होती है। अच्छे आचरण को बनाने के लिए, संभवतः कुछ-न-कुछ मेहनत तो करनी ही पड़ती है और संयम भी रखना ही पड़ता है। इन कहानियों को पढ़कर, प्रेरणा व बल मिलता है, और अपने आप में सुधार लाने की इच्छा जाग्रत् होती है, क्योंकि जो कुछ भी हो, अंत में सभी को लौटकर परमधाम जाना है, और प्रभु तो अच्छे कर्म करनेवालों को ही मिलेंगे। वरना फिर एक बार जीवन-मरण के कालचक्र में फँस जाएँगे।
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अनुक्रम | |
प्राकथन (अमित शाह) — vii | 24. तुम वहीं हो, जहाँ तुम्हारा मन है — 93 |
Foreword (Arun Jaitley) — viii | 25. माँ, तुम कहाँ हो — 97 |
Foreword (K.V. Kamath) — ix | 26. शराबी ड्राइवर — 101 |
Message (Mukesh D. Ambani) — x | 27. कछुआ और चींटी — 105 |
प्रस्तावना सन् 2017 — xi | 28. एक मिनट मुझे दो — 109 |
Preface — xiii | 29. राजकुमार मोहजीत — 113 |
आभार — xvi | 30. खेल-दादा — 117 |
नमस्कार — xviii | 31. रोटी में या है? — 121 |
1. हमेशा मुसकराते रहो — 1 | 32. एक नन्ही परी — 125 |
2. दो बसे — 5 | 33. माली का घड़ा — 129 |
3. ए.बी.सी. 9 | 34. दिव्यांग कलाकार — 133 |
4. केवट, एक नाव चालक — 13 | 35. अंधी महिला — 137 |
5. कला-परीक्षा — 17 | 36. श्रेष्ठ, श्रेष्ठतम, सर्वश्रेष्ठ — 141 |
6. मोची — 21 | 37. भोजन में मांसाहार — 145 |
7. परिवार बनाम अन्य — 25 | 38. सोने की थाली — 149 |
8. गरीब रिश्तेदार — — 29 | 39. चॉकलेट — 153 |
9. दिल्ली से लास एंजिल्स — 33 | 40. कर्म का मर्म — 157 |
10. नारायण-सेवा — 37 | 41. सुनामी — 161 |
11. पेंसिल — 41 | 42. उपयोगी या अनुपयोगी — 165 |
12. लालची सूअर — 45 | 43. सामूहिक नकल — 169 |
13. सांता लाज — 49 | 44. राज्य का मूल्य — 173 |
14. वो मुझे ढूँढ़ रहा है — 53 | 45. भाग्यशाली औरत — 177 |
15. कृष्ण का मूल्य — 57 | 46. सूर्य की तरह पिता — 183 |
16. प्रेम की माला — 61 | 47. रतदान — 188 |
17. अकबर और बीरबल — 65 | 48. कलाकार — 191 |
18. बार-बार — 69 | 49. रामू से ममता — 196 |
19. अनकहा प्यार — 73 | 50. संसार का सबसे महान् शिक्षक — 199 |
20. बर्फ के टुकड़े — 77 | 51. जय श्रीराम — 203 |
21. गधा एवं मूर्तियाँ — 81 | 52. चरित्र : धनी व्यति की संपत्ति नहीं — 206 |
22. जीजस का साथ — 85 | प्रिय स्वामी, धन्यवाद! — 211 |
23. बस करो, पूजा — 89 | स्पष्टीकरण — 212 |
संजय टंडन B.Com. (Hons.) FCA, AIIA, ACMA कॉम्पीटेंट गु्रप के प्रमोटर व चेयरमैन हैं। पिछले सात वर्ष से वे भारतीय जनता पार्टी, चंडीगढ़ के अध्यक्ष हैं। पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य हैं। वे कॉम्पीटेंट फाउंडेशन के लोकोपकारी कार्यों में विशेष रूप से भाग लेते हैं, जिसका आदर्श है ‘Help Ever, Hurt Never’।
प्रिया एस. टंडन B.Com. (Hons.) LLB, कॉम्पीटेंट फिनमैन प्रा.लि. की प्रमोटर व डायरेक्टर हैं। वह एक लेखिका, कलाकार, गीतकार और ब्लॉगर भी हैं। वह कॉम्पीटेंट फाउंडेशन के लोकोपकारी कार्यों में विशेष रूप से भाग लेती हैं; जैसे कि रक्तदान शिविर, लंगर, कैंसर पीडि़तों की सहायता, पुस्तकों का लेखन व प्रकाशन इत्यादि।