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Supreme Court Ke 85 Aitihasik Judgments ""सुप्रीम कोर्ट के 85 ऐतिहासिक जजमेंट्स"" For UPSC and State Civil Services Examination, Interview, CLAT and Judicial Examinations Book in Hindi
सर्वोच्च न्यायालय जो व्याख्या करता है, वही देश का कानून होता है। इस पुस्तक में सर्वोच्च न्यायालय के 85 ऐतिहासिक निर्णयों के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित विधि की व्यवस्था को प्रस्तुत किया गया है । विषय का हिंदी में रूपांतरण अत्यंत जटिल है, अत: सामान्य जन की समझ के लिए प्रथमत: तथ्यों को लिया गया है, फिर निर्णय का मुख्य अंश तथा अंत में मैंने अपना मंतव्य दिया है । सिविल सर्विसेज प्रतियोगितात्मक परीक्षा के लिए, अभ्यर्थी का मंतव्य अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। प्रयास किया गया है कि समानता के मूल अधिकार से लेकर वर्तमान काल में भूमि सुधार एवं आर्थिक मामलों पर भी सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था प्रकाश में आए ।
परिशिष्टों में अधिकांश महत्त्वपूर्ण विषयों पर निर्णयों की सूची तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने ही निर्णयों में परिवर्तन की सूची भी दी गई है। बीच-बीच में संविधान के मुख्य-मुख्य प्रावधानों को भी रेखांकित किया गया है ताकि संविधान के उन प्रावधानों से संबंधित निर्णयों को समझने के लिए संविधान की किताब को न खोलना पड़े।
आशा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के हिंदी में इस सरल एवं सुलभ प्रस्तुतीकरण का समान रूप से एडवोकेट, विधि-सलाहकार, विद्यार्थियों तथा प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों द्वारा स्वागत होगा।
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल
बरुआसागर, जिला-झाँसी (उत्तर प्रदेश) में जन्मे डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल हिंदी के प्रख्यात उपन्यासकार, कहानीकार एवं लेखक हैं। अभी तक डॉ. अग्रवाल की हिंदी और अंग्रेजी में पैंसठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी भारतीय वाङ्मय पर अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं—‘रामचरितमानस-नाट्य रूप’, ‘मैं राम बोल रहा हूँ’, ‘भगवद्गीता : नाट्य रूप’, ‘राधा की पाती : कृष्ण के नाम’ और ‘संजय-धृतराष्ट्र संवाद’। डॉ. अग्रवाल का कृतित्व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा सम्मानित हो चुका है। भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् संप्रति साहित्य के माध्यम से समाज-सेवा में समर्पित हैं।