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Swaang

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Author Usha Yadav
Features
  • ISBN : 9789381063415
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Usha Yadav
  • 9789381063415
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2015
  • 192
  • Hard Cover
  • 385 Grams

Description

विश्‍वविद्यालय की एक एकाकी महिला प्रोफेसर के यशस्वी जीवन में कालिख पोतने का अटूट सिलसिला जब अचानक ही शुरू हो जाता है, तो वह अबूझ भाव से उसे देखने के सिवाय कुछ नहीं कर पाती। आखिर कौन और क्यों इस तरह हाथ धोकर उनकी चरित्र-हत्या करने पर तुल गया है? विश्‍वविद्यालय के तमाम बड़े अधिकारियों के पास उन्हें लेकर गंदे ईमेल संदेश भेजे जाने का उद‍्देश्य क्या है? जीवन में अचानक आए इस भूचाल से वह इतनी किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाती है कि अंतत: खुद को लेकर कुछ कठोर फैसले करने का मन बना लेती है। पर आई.पी.एस. अधिकारी के रूप में उसी शहर में तैनात उसकी पूर्व छात्रा उससे स्थिति को सँभालने के लिए कुछ समय माँगती है और फिर...।
आज के भौतिकवादी जीवन की तमाम विसंगतियों और भयावह यथार्थ-बोध से रूबरू करानेवाला यह उपन्यास आपको पृष्ïठ-दर-पृष्ïठ उन सच्चाइयों के कोलाज दिखाएगा, जिन्हें हम अपने आस-पड़ोस के दैनंदिन जीवन की आर्ट गैलरी में आए दिन देखते हैं। चटख और धूसर रंगों के संयोजन से बने इन चित्रों ने 'स्वाँग’  को एक अलग आकर्षण दे दिया है। नाना स्वाँग धरे हुए छद‍्मवेशियों ने आज आम आदमी का जीना किस कदर दूभर कर दिया है, यही संत्रास सामने लाना 'स्वाँग’  की तरल-सजल संवेदना है।

The Author

Usha Yadav

जन्म : कानपुर (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए. (इतिहास, हिंदी), पी-एच.डी., डी.लिट्.।
प्रकाशन : ‘टुकडे़-टुकडे़ सुख’, ‘सपनों का इंद्रधनुष’, ‘जाने कितने कैक्टस’, ‘चाँदी की हँसली’, ‘सुनो जयंती’, ‘उषा यादव : संकलित कहानियाँ’ (कहानी संग्रह); ‘प्रकाश की ओर’, ‘एक और अहल्या’, ‘धूप का टुकड़ा’, ‘आँखों का आकाश’, ‘कितने नीलकंठ’, ‘कथांतर’, ‘अमावस की रात’, ‘काहे री नलिनी’, ‘नन्ही लाल चुन्नी’, ‘महालया’, ‘दीप अकेला’ (उपन्यास); ‘सागर-मंथन’ (नाटक); ‘वासंती मन’ (काव्य); ‘हिंदी की श्रेष्‍ठ बाल कहानियाँ’, ‘यहाँ सुमन बिखेर दो’, ‘बाल विमर्श और हिंदी बाल साहित्य’ (संपादन)।
कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, इतिहास आदि विविध विधाओं में बाल साहित्य की लगभग तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित।
सम्मान : उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ का ‘बाल-साहित्य भारती सम्मान’, 2003 में विश्‍वविद्यालय स्तरीय सम्मान, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, द्वारा ‘भारतेंदु हरिश्‍चंद्र पुरस्कार’ (प्रथम), म.प्र. साहित्य अकादमी का अ.भा. वीरसिंह पुरस्कार, विभिन्न विश्‍वविद्यालयों में कृतित्व पर पाँच शोधकार्य संपन्न।

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