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"स्वामी रामतीर्थ एक महान तत्वज्ञानी और धर्मोपदेशक थे। उनका जन्म 2 अक्तूबर, 1873 को पंजाब के गुजराँवाला जिले के मुरारीवाला गाँव में हुआ था।
सन् 1901 में स्वामी रामतीर्थ ने संन्यास का व्रत ले लिया और भगवा धारण करके निकल पड़े। संन्यास धारण करने के बाद वे दुनिया भर में वेदांत का प्रचार करने की तैयारी में जुट गए। उन्होंने शास्त्रों और पश्चिमी दर्शन का गहन अध्ययन किया। वेदांत का प्रचार करने के उद्देश्य से सन् 1902 में स्वामी रामतीर्थ जापान गए।
स्वामी रामतीर्थ अद्वैत वेदांत को अत्यंत सरल करके जनमानस के समक्ष इस तरह से रखा कि साधारण बुद्धिवाला व्यक्ति भी उससे लाभान्वित हो सके। उन्होंने मनुष्य को त्याग, आत्मविश्वास, कर्म, निष्ठा, निर्भयता, दृढ़ता, एकता और विश्व-प्रेम की व्यावहारिक शिक्षा देकर सत्य और मुक्ति का मार्ग दिखाया।
स्वामी रामतीर्थ का संपूर्ण जीवन एवं उनके विचार मानव-जाति के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, जिसकी सहायता से मानव अपने जीवन-लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सकते हैं।"
जन्म : 31 अक्तूबर, 1965।
शिक्षा : हिंदी साहित्य में एम.ए., पोस्ट एम.ए., अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार डिप्लोमा, पोस्ट एम.ए. अनुप्रयुक्त (हिंदी) भाषा विज्ञान डिप्लोमा, पोस्ट एम.ए. अनुप्रयुक्त (हिंदी) भाषा विज्ञान उच्च डिप्लोमा, बैचलर डिग्री इन मास कम्युनिकेशन, मास्टर डिग्री इन मास कम्युनिकेशन।
कृतियाँ : मैं भगतसिंह बोल रहा हूँ, हिंदी कोश साहित्य, लाल किले से, प्रेमचंद सूक्ति कोश, तुलसी सूक्ति कोश, प्रसाद सूक्ति कोश, शरत सूक्ति कोश, श्री नरेश मेहता सूक्ति कोश, स्वामी रामतीर्थ सूक्ति कोश, रवींद्रनाथ टैगोर सूक्ति कोश, अमृतलाल नागर सूक्ति कोश, सुभाष चंद्र बोस सूक्ति कोश, निराला सूक्ति कोश, मुक्तिबोध सूक्ति कोश,
प्रतिश्रुति : श्रीनरेश मेहता की समग्र कहानियाँ, मेरे साक्षात्कार : श्रीनरेश मेहता, महीप सिंह रचनावली (दस खंड), कुसुम अंसल रचनावली (सात खंड) (संपादित कृतियाँ), तुलसीनिर्देशिका, रामचरित मानस की सूक्तियों का अध्ययन, रामचरित मानस में शिक्षा दर्शन में संपादन सहयोग, तीसरा प्रभाकर, भारतीय मीडिया : अंतरंग परिचय, बच्चन : जाने के बाद एवं छोटे हाथ के रंग बड़े हाथ के संग में सहयोगी लेखक।
संप्रति : स्वतंत्र लेखन।