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Swami Vivekanand Ke Jeevan Ki Kahaniyan

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Author Mukesh Nadan
Features
  • ISBN : 9789381063637
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Mukesh Nadan
  • 9789381063637
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 160
  • Hard Cover
  • 330 Grams

Description

भारत की पावन भूमि पर अनेक संत-महात्मा और ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया। उनके द्वारा दिए गए सत्य, प्रेम, त्याग और मानवता के संदेशों से संपूर्ण विश्‍व ने प्रेरणा ली है। ऐसे ही एक तपस्वी, भारत के गौरव और महान् विभूति ने 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में जन्म लिया, जिसका नाम था—स्वामी विवेकानंद।
नरेंद्र अर्थात् स्वामी विवेकानंद ने हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे देश का भ्रमण किया। अनेक स्थानों पर उन्होंने अपने व्याख्यानों से युवाओं को प्रभावित ही नहीं किया अपितु उन्हें एक नई दिशा दी। यहाँ तक कि उन्होंने राजा-महाराजा और नवाबों को उपदेश दिए। 11 सितंबर, 1893 को शिकागो में विश्‍व धर्म सम्मेलन हुआ। इसमें उनके द्वारा दिए गए भाषण ने पूरे विश्‍व में तहलका मचा दिया और हिंदू आध्यात्मिकता का परचम पूरे विश्‍व में लहरा दिया। इसके पश्‍चात् स्वामीजी ने अनेक देशों का भ्रमण किया तथा उपदेश दिए।
स्वामी विवेकानंद के जीवन की अनेक घटनाओं का वर्णन उनके जीवन पर आधारित विभिन्न पुस्तकों में मिलता है, जिन्हें हमने कहानियों के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। विश्‍वास है, स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित ये प्रेरक कहानियाँ अवश्य ही पाठकों के जीवन को एक नई दिशा प्रदान करेंगी।

The Author

Mukesh Nadan

5 नवंबर, 1964 को नगर नजीबाबाद (उ.प्र.) में जनमे लेखक एवं चित्रकार मुकेश ‘नादान’ ने साहित्य-जगत् में अपनी अलग पहचान बनाई है। विभिन्न विषयों पर संपादित एवं लिखी गई दो सौ से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। बाल पाठकों के लिए अनेक सचित्र एवं शिक्षाप्रद पुस्तकें लिखकर उनमें शिक्षा एवं संस्कृति का संचार किया है। ‘नन्ही मुनिया’, ‘जंगल और आदमी’, ‘शिक्षाप्रद बाल कहानियाँ’, ‘शिक्षाप्रद बाल गीत’ जैसी पुस्तकें आज भी बाल पाठकों की पहली पसंद बनी हुई हैं। विभिन्न विषयों पर उपयोगी श्रंखला में लिखी ‘महानायक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम’ (जीवनी), ‘प्रदूषण का कहर’, ‘बुढ़ापा : वरदान या अभिशाप’, ‘विश्‍व प्रसिद्ध महान् संत’ (जीवनियाँ), ‘बचपन॒: दशा और दिशा’ आदि पुस्तकें भी लोकप्रिय हुई हैं।

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