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Swami Vivekananda - Prasiddh Darshnik, Anjaan Kavi   

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Author Radhika Nagrath
Features
  • ISBN : 9789355621146
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Radhika Nagrath
  • 9789355621146
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 216
  • Hard Cover
  • 350 Grams

Description

स्वामी विवेकानंद के बारे में उपलब्ध अद्भुत कार्यों के बीच इस पुस्तक का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इसमें उन विषयों और पहलुओं को दरशाया गया है, जिन पर समीक्षकों ने कभी ध्यान नहीं दिया।

लेखिका ने विवेकानंद के महामनस्क व्यक्तित्व के छिपे हुए कई पहलुओं—वक्ता, चिंतक, संरक्षणवादी और देशभक्त संन्यासी को उजागर किया है। उनके काव्य-कौशल ने उनके दार्शनिक व्यक्तित्व को पार्श्व में नहीं ढकेला, बल्कि दोनों के बीच संतुलन का रास्ता बनाया। विवेकानंद की काव्य-विशेषताओं के विश्लेषण का लेखिका का प्रयास विश्व में सर्वप्रथम है।

लेखिका जिस सबसे आश्चर्यजनक बिंदु पर पहुँची हैं, वह है पी.बी. शेली का कवि के रूप में विवेकानंद पर प्रभाव, जिसके बल पर वे रोमांटिक वास्तविकता को शास्त्रीय दृष्टि में बदलने में सफल हुए। इस पुस्तक की अद्वितीयता यह है कि इसमें प्राकृतिक वस्तुओं के बजाय, विवेकानंद के अतिसंवेदनशील स्वरूप अथवा तत्त्व को उनकी कविताओं के विषय के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जहाँ कवि विवेकानंद के बारे में सुनकर अधिकतर लोगों को आश्चर्य होता है, वहीं लेखिका ने विवेकानंद के जगत् की दार्शनिक कमियों को अपनी कविताओं में दार्शनिक समाधानों के प्रयास को इस तरह से खोजा है कि भौतिक रुझान से आध्यात्मिक रुझान अधिक सशक्त होकर उभरा है।

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अनुक्रम

पुरोवाक् —Pgs. 7

भूमिका —Pgs. 11

आभार —Pgs. 13

1. जीवन एवं पृष्ठभूमि —Pgs. 17

2. स्वामी विवेकानंद : दार्शनिक और प्रकृतिवादी कवि एक मूल्यांकन —Pgs. 43

3. अनासति और परित्याग की खोज : भक्तिकाव्य का एक दृष्टिकोण —Pgs. 88

4. स्वामी विवेकानंद और तवमीमांसावादी काव्य एक विषयगत विश्लेषण —Pgs. 121

5. अद्वैतवाद और पारंपरिक कविता स्वामी विवेकानंद की पारंपरिक कविताओं का एक मूल्यांकन —Pgs. 162

6. स्वामी विवेकानंद का संपूर्ण जगत् और वर्तमान में उनके संदेश की प्रासंगिकता —Pgs. 191

उपसंहार —Pgs. 203

संदर्भ-सूची —Pgs. 212

The Author

Radhika Nagrath

शिक्षा :पी-एच.डी. (अंग्रेजी साहित्य)।

प्रकाशन :कार्निवाल ऑफ पीस : कुंभ हरिद्वारम् (कॉफी टेबल बुक), पीसेज टू पीस : टेकिंग लिटल स्टैप्स (संकलन), स्वामी विवेकानंद : द नोन फिलोसफर द अननोन पोएट (शोध कार्य), लाईफ ऑफ लव पोयम्स (समीक्षा)।

कृतित्व :11 वर्षों से पत्रकारिता और फीचर लेखन जिसमें डिस्कवरी चैनल पर इतिहासकार एवं पत्रकार के रूप में प्रस्तुति, ‘देहरादून लाईव’ समाचार-पत्र में स्तंभकार, केरल से प्रकाशित ‘कांजीक्रेशन’ पत्रिका में सह संपादक के रूप में कार्य। स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक के रूप में न्यूज एजेंसी आई.ए.एन.एस. और दोेहा-कतर से प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘न्यू इरा’ में लेखन, ‘हिमाचल टाइम्स’ में ‘सर्मन्स ऑफ विवेकानंद’। ऑक्सफर्ड, मैक्गिल और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया जैसे सुप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में शोध-पत्र प्रस्तुति। विभिन्न राष्ट्रीय संगोष्ठियों में ‘भारतीय संस्कृति एवं योग’ विषय पर शोध-पत्र प्रस्तुति।

सम्मान-पुरस्कार :‘गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान’, आई.आई.टी. रुड़की द्वारा सम्मान, लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड, रेड क्रॉस सोसाइटी चंडीगढ़ एवं रोटरी क्लब द्वारा मानवता की सेवा के लिए अवार्ड ऑफ ऑनर एवं ‘स्वामी विवेकानंद साहित्य-साधना सम्मान’।

संप्रति :हिंदुस्तान टाइम्स में संवाददाता एवं एक्सप्रेस इंडियन डॉट कॉम न्यूज पोर्टल की सलाहकार संपादिका।

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