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“ना बबुआ ना, रोइए नहीं। मैं आपके आँसू नहीं देख सकता।”
वे और रोने लगे। मैंने उनका सिर अपने हाथों में भर लिया और आँसू पोंछने लगा। वे बच्चे की तरह मेरी गोद में भहरा उठे। कुछ देर बाद बोले, “कहाँ रहे दिन भर?”
“खेतों में आपके साथ घूमता रहा।”
“मेरे साथ?”
“हाँ, आपकी यादों के साथ।”
“अच्छा जाओ, खाना-वाना खा लो।”
“नहीं बबुआ, आज तो मैं आपके साथ यहीं खाना खाऊँगा। यहीं आपके साथ सोऊँगा और बहुत दिन हो गए आपके मुँह से कहानी सुने हुए, कोई कहानी सुनूँगा।”
बबुआ आँसू भरी आँखों से मुझे देख रहे थे और लग रहा था कि वे एक बार फिर अपने पिछले दिनों में लौट गए हैं मेरे साथ। —इसी संग्रह से
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वरिष्ठ कथाकार प्रो. रामदरश मिश्र के प्रस्तुत संग्रह की मार्मिक एवं संवेदनशील कहानियों में विविध प्रकार के चरित्रों, समस्याओं और स्थितियों को रूपायित किया गया है। रोमांचित एवं उद्वेलित करनेवाली हृदयस्पर्शी कहानियाँ।
जन्म : 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर (उ.प्र.) के डुमरी गाँव में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी.।
प्रकाशित पुस्तकें : बीस काव्य-संग्रह, चौदह उपन्यास, इक्कीस कहानी-संग्रह, दस आलोचना पुस्तकें, तीन ललित निबंध-संग्रह, तीन यात्रा-वृत्त, तीन संस्मरणात्मक पुस्तकें, दो आत्मकथात्मक ग्रंथ, चार संपादित पुस्तकें, ग्यारह समीक्षात्मक कृतियाँ, दो डायरी पुस्तकें, एक बाल साहित्य आदि। कई कृतियाँ पुरस्कृत।
सम्मान : ‘शलाका सम्मान’, ‘साहित्यकार सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘भारत भारती सम्मान’, ‘सारस्वत सम्मान’, ‘व्यास सम्मान’ सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित।
संप्रति : दिल्ली विश्वविद्यालय (हिंदी विभाग) के प्रोफेसर पद से सेवामुक्त।