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आई.ए.एस. बनने का सपना अधिकांश नौजवान देखते हैं, किंतु चंद लोग ही अपने उस ख्वाब को हकीकत में बदल पाते हैं। इसका कारण यू.पी.एस.सी. परीक्षाका अत्यंत कठिन होना नहीं है, बल्किइसमें सफल होने के पीछे वांछित मेहनत व लगन के साथ-साथ आवश्यकता है असीम धैर्य व सकारात्मक चिंतन की, और यही वह तत्त्व है, जिसका अभाव वर्तमान छात्र-छात्राओं में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ‘स्वप्नरथ’ एक ऐसी ही कृतिहै, जिसमें लेखक डॉ. अनिरुद्ध रावत ने एक ऐसे ही नौजवान की कहानी गढ़ी है, जो लंबे समय से अध्ययन से दूर रहते हुए भी यू.पी.एस.सी. के संग्राम-समर में कूद जाता है और अपने धैर्य व सकारात्मकता के रथ पर सवार होकर अंततः अपने सपनों को साकार करता है। यह उपन्यास एक आई.ए.एस. अधिकारी, कुशल पर्वतारोही, आशु कवि रविंद्र कुमार, जो वर्तमान में झाँसी (उत्तर प्रदेश) के जिलाधिकारी हैं, के जीवन संघर्ष पर आधारित है; किंतु लेखक डॉ. रावत ने इसमें एक साधारण नवयुवक के संघर्ष को ही उजागर किया है।