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श्मशान घाट का रास्ता पूछने-पाछने में हमें थोड़ी देर हो गई और जब तक हम वहाँ पहुँचे तब तक तो उनको मुखाग्नि देने की रस्म-अदायगी पूरी हो चुकी थी। वह लकड़ी और हवन सामग्री के मध्य लिपटे हुए धू-धू कर अग्नि में जलकर राख हुए जा रहे थे।
दूसरे दिन प्रातः लगभग 10 बजकर 40 मिनट पर अचानक ही मेरे मोबाइल पर कल स्वर्गवासी हुए अपने मित्र के मोबाइल नंबर की घंटी बज उठी तो मैंने सोचा कि भाभीजी ने मित्र के शांति-पाठ की तिथि व समय बताने के लिए मुझे फोन लगाया है इसलिए हमने तुरंत ही गंभीरता ओढ़ते हुए अपने मोबाइल के स्विच को उनकी बात सुनने के लिए ऑन कर दिया तो उधर से अपने स्वर्गवासी मित्र की चिरपरिचित कड़कदार आवाज सुनाई दी। वह बोला—‘‘लो भाई, मैं तुम्हारा परममित्र सक्सेना बोल रहा हूँ। हम तो आज प्रातः 8 बजे 6-ई 554 इंडिगो फ्लाइट से सशरीर उड़कर धरती के स्वर्ग यानी श्रीनगर कश्मीर पहुँच चुके हैं। पूरे दस दिन तक इस स्वर्ग में रहकर स्वर्गवासी रहेंगे। मुगल बादशाह जहाँगीर ने श्रीनगर कश्मीर के बारे में सही ही कहा था कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है।’’
—इसी संग्रह से
जन्म :14 जनवरी, 1967 को चंदौसी में।
शिक्षा : एम.एस-सी. (फिजिक्स इलेक्ट्रॉनिक्स), ग्रेड आई.ई.टी.ई., ए.डी.ई.ए. एवं बी.ई.एस. (एल.एम.), हिंदी पत्रकारिता में डिप्लोमा, एम.ए. (हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता प्रशिक्षण)।
रचना-संसार :‘समांतर हो गए रिश्ते’, ‘दाढ़ी तुझे सलाम’, गाड़ी सरकारी दफ्तर की’, ‘स्वामी आलोकानंदजी महाराज का बिजली उपवास’ (व्यंग्य-संग्रह), ‘नारी शीर्षक से’, ‘तुमने देखा तो होगा’, ‘हँसता हुआ चाँद’, ‘हम सब यांत्रिकी हो गए’ (कविता-संग्रह)।
राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों पर सूचनात्मक, व्यंग्यात्मक, आलोचनात्मक रचनाएँ प्रकाशित, जिनमें लघु-कथाएँ, कहानियाँ, बाल-कहानियाँ तथा यात्रा-वृत्तांत भी शामिल हैं। आकाशवाणी से वार्त्ता, विज्ञान वार्त्ता तथा साक्षात्कार प्रसारित।
सम्मान-पुरस्कार :राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार, आकाशवाणी के राजभाषा पुरस्कारों से अनेक बार पुरस्कृत, रामवृक्ष बेनीपुरी जन्म शताब्दी सम्मान, श्री साईंदास बालूजा साहित्य कला अकादमी सम्मान, अमृत कलश-रत्नश्री सम्मान, राष्ट्रभाषा रत्न सम्मान तथा कलमवीर सम्मान।
संप्रति :दूरदर्शन महानिदेशालय, नई दिल्ली के मानव संसाधन विकास अनुभाग में ‘सहायक अभियंता’।