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संसार में एक से बढ़कर एक बहुमूल्य चीजें हैं; परंतु उनमें एक चीज जो सबसे अनमोल है, वह है—स्वास्थ्य। जीवन की सार्थकता स्वास्थ्य से है। स्वास्थ्य जैसे अमूल्य रत्न को एक बार खोकर पुन: प्राप्त करना बड़ा कठिन हो जाता है। अत: स्वास्थ्य की रक्षा करना परम आवश्यक है। प्रकृति ने मानव को स्वस्थ पर्यावरण के साथ-साथ अनेक बहुमूल्य उपहार भी दिए हैं। ये उपहार हैं—फूल, फल, शाक, सब्जी और मसाले। अपने दैनिक जीवन में हम इनका उपयोग किसी-न-किसी रूप में अवश्य करते हैं; लेकिन मात्र जीभ के स्वाद के लिए ही। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि इनमें कितने अधिक रोगनाशक और औषधीय गुण विद्यमान हैं? यदि हम सब इनके बारे में जानकारी रखें तो दैनिक जीवन में होनेवाली बहुत सी बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सकों और डॉक्टरों के पास दौड़ना न पड़े, उनकी मोटी-मोटी फीस शायद न भरनी पड़े।
प्रस्तुत पुस्तक ‘स्वास्थ्य के रखवाले’ में हर घर-परिवार में सहज-सुलभ शाक-सब्जी और मसालों का सांगोपांग वर्णन है। प्रत्येक के गुण, उपयोग के साथ-साथ औषधीय उपयोग बताए गए हैं। ये नुस्खे घरेलू चिकित्सा के मुख्य अंग हैं, जो रोग को दबाते नहीं, बल्कि धीरे-धीरे उसका समूल नाश कर देते हैं।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूक एवं जिज्ञासु प्रत्येक व्यक्ति के लिए अत्यंत उपयोगी एवं पठनीय पुस्तक।
प्रेमपाल शर्मा
जन्म : 5 जुलाई, 1963 को बुलंदशहर (उ.प्र.) के मीरपुर-जरारा गाँव में।
कृतित्व : विश्वप्रसिद्ध वनस्पतिविद् एवं वन्यजीव-विज्ञानी डॉ. रामेश बेदी के सान्निध्य में अनेक वर्षों तक शोध सहायक के रूप में कार्य एवं 'बेदी वनस्पति कोश' (छह खंड) का सफल संपादन। 'सवेरा न्यूज' साप्ताहिक में स्वास्थ्य कॉलम एवं संपादकीय लेखन के साथ-साथ आकाशवाणी (मथुरा व नई दिल्ली) से वार्त्ता आदि प्रसारित; 'टू मीडिया' मासिक द्वारा मेरे व्यक्तित्व-कृतित्व पर विशेषांक प्रकाशित ।
रचना-संसार : 'निबंध, पत्र एवं कहानी लेखन', 'सुबोध हिंदी व्याकरण', 'जीवनोपयोगी जड़ी-बूटियाँ', 'स्वास्थ्य के रखवाले, शाक-सब्जी-मसाले', 'सचित्र जीवनोपयोगी पेड़-पौधे', 'संक्षिप्त रामायण', 'स्वस्थ कैसे रहें?', 'स्वदेशी चिकित्सा सार', 'घर का डॉक्टर', 'शुद्ध अन्न, स्वस्थ तन', 'नगरी-नगरी, द्वारे-द्वारे' (यात्रा-संस्मरण); 'हिंदी काव्य धारा' (संपादन ।
पुरस्कार-सम्मान : श्रीनाथद्वारा की अग्रणी संस्था साहित्य मंडल द्वारा 'संपादक- रत्न' एवं 'हिंदी साहित्य-मनीषी' की मानद उपाधि।
संप्रति : आयुर्वेद पर शोध एवं स्वतंत्र लेखन ।