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स्वयं प्रकाश हिंदी के जाने-माने कथाकार हैं। उनकी कहानियाँ हिंदी के पाठकों और आलोचकों में समान रूप से लोकप्रिय रही हैं। सत्तर के दशक से अपना कहानी लेखन प्रारंभ करनेवाले स्वयं प्रकाश की पहचान ऐसे कहानीकार के रूप में है, जो सहजता से अपनी बात कह देते हैं और उनकी कोई कहानी ऐसी नहीं होती, जिसमें सामाजिकता का उद्देश्य न हो। इस तरह से हिंदी में प्रेमचंद, यशपाल, भीष्म साहनी, हरिशंकर परसाई और अमरकांत की परंपरा के वे बड़े कथाकार हैं। भारतीय जीवन के मर्म को उनकी कहानियों में देखा जा सकता है। मध्य वर्ग के राग-विराग हों या नौकरीपेशा सामान्य गृहस्थी के द्वंद्व, युवा वर्ग की उलझनें हों या महिलाओं के संघर्ष—स्वयं प्रकाश की कहानियाँ पूरे भारतीय समाज को अपने दायरे में लेती हैं। वे उन लोगों में नहीं हैं, जो भारतीय समाज की हलचल से निराश हो जाएँ, बल्कि वे इसी समाज से आशा के नए-नए स्रोत खोजते हैं और अपने पाठकों को नए उत्साह से भर देते हैं।
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अनुक्रम
पाठ से पहले —Pgs. 5
1. नाचनेवाली कहानी —Pgs. 11
2. कानदाँव —Pgs. 18
3. गौरी का गुस्सा —Pgs. 24
4. तीसरी चिट्ठी —Pgs. 33
5. बर्डे —Pgs. 42
6. जंगल का दाह —Pgs. 50
7. इनका जमाना —Pgs. 58
8. परिधि —Pgs. 65
9. ढलान पर —Pgs. 74
10. सम्मान —Pgs. 86
11. अविनाश मोटू उर्फ एक आम आदमी —Pgs. 96
12. उल्टा पहाड़ —Pgs. 104
13. सूरज कब निकलेगा —Pgs. 127
14. या तुमने कभी कोई सरदार भिखारी देखा? —Pgs. 135
15. मंजू फालतू —Pgs. 143
16. नैनसी का धूड़ा —Pgs. 154
17. संधान —Pgs. 165
जन्म : 20 जनवरी, 1947, इंदौर।
शिक्षा : मेकैनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, एम.ए. (हिंदी), पी-एच.डी.।
रचना-संसार : ‘मात्रा और भार’, ‘सूरज कब निकलेगा’, ‘आसमाँ कैसे-कैसे’, ‘अगली किताब’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमी’, ‘अगले जनम’, ‘संधान’, ‘छोटू उस्ताद’ (कहानी-संग्रह); ‘बीच में विनय’, ‘ईंधन’ (उपन्यास); ‘रंगशाला में एक दोपहर’, ‘एक कथाकार की नोटबुक’ (निबंध); ‘हमसफरनामा’ (रेखाचित्र); ‘फीनिक्स’ (नाटक); ‘मेरे साक्षात्कार’ (साक्षात्कार); ‘प्यारे भाई रामसहाय’ (बाल साहित्य); ‘पंगु मस्तिष्क’, ‘अन्यूता’, ‘लोकतांत्रिक विद्यालय (अनुवाद)। कुछ समय ‘क्यों’, ‘चकमक’ और ‘वसुधा’ पत्रिकाओं का संपादन।
राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा मोनोग्राफ प्रकाशित। लघु पत्रिकाओं ‘चर्चा’, ‘संबोधन’, ‘राग भोपाली’ और ‘बनास’ द्वारा रचना-कर्म पर विशेषांक प्रकाशित। ‘पार्टीशन’ कहानी पर टेलीफिल्म का निर्माण।
पुरस्कार-सम्मान : गुलेरी सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, सुभद्राकुमारी चौहान पुरस्कार, बनमाली पुरस्कार, पहल सम्मान, कथाक्रम सम्मान, भवभूति अलंकरण।
संपर्क : 33/3 ग्रीन सिटी, ई-8, अरेरा कॉलोनी, भोपाल-462039, दूरभाष : 0755-2562960
इ-मेल : swayamprakash20@yahoo.co.in