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"देश-दुनिया में वह ताकत थी कि यह देशभर के सारे हिंदी राज्यों में पत्रकारिता का सिरमौर बनता और दूसरी भाषाओं में भी छलाँगें लगाता। हमारे पास दस भाषाओं में सौ संस्करणों की शृंखला होनी चाहिए थी और यह बिल्कुल मुश्किल नहीं था। इस दौर में हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी पूरी ताकत से स्क्रीन पर होते। हमारा प्रोडक्शन हाउस इस समय शानदार डॉक्यूमेंट्री बना रहा हो सकता था। हम न्यूज और व्यूज में क्वालिटी कंटेंट हर मीडियम में देनेवाले देश के अव्वल मीडिया हाउस हो सकते थे। कोई कमी कभी नहीं थी; और हाँ, मैं अपने अनुभव एक किताब की शक्ल में लिख रहा हूँ। देश-दुनिया में जितने लोगों ने भी जितने साल काम किया, सबके लिए वह स्याह रातों के चमकीले ख्वाबों जैसा कभी न भूल सकने वाला अनुभव है। मेरे लिए देश-दुनिया की कहानी एक केस स्टडी है।
—इसी पुस्तक से"
गणित में एम. एस. - सी. उपाधिधारी विजयमनोहर तिवारी द्वारा एक वर्ष कॉलेज में गणित का अध्यापन; माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता वि. वि. भोपाल से प्रथम श्रेणी में प्रथम पत्रकारिता स्नातक की उपाधि । ' नईदुनिया ' और ' सहारा - समय ' न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग के बाद संप्रति ' दैनिक भास्कर ' में विशेष संवाददाता । चार पुस्तकें - ' सहरिया ', ' एक साध्वी की सत्ता - कथा ', ' हरसूद 30 जून ', ' प्रिय पाकिस्तान ' प्रकाशित । ' हरसूद 30 जून ' के लिए ' भारतेंदु हरिश्चंद पुरस्कार ' मिला ।