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अंदर जश्न हो रहा था बहुत शोर मच रहा था नाच-गजाना भी हो रहा था लोग खा-पीकर मस्त थे। तभी दरवाजे पर एक आवाज आई- दस पैसे या रोटी दे दो दो दिनों का भूखा हूँ। तभी अंदर से चीख निकली- चल, जा आगे! आजादी के पचास साल का जश्न है इसी में सब मग्न हैं।
विजय कुमार 1991 बैच के भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आई.डी.ए.एस.) के अधिकारी हैं, जो वर्तमान में प्रधान वित्तीय सलाहकार, वायुसेना मुख्यालय, नई दिल्ली में कार्यरत हैं । दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल कर सिविल सर्विस में आए। पठन-पाठन जारी रखते हुए एम.बी.ए. (एच.आर.डी. ) की डिग्री भी हासिल की। सरकारी काम-काज की व्यस्तता के बावजूद थोड़ा समय साहित्य सृजन के लिए निकालते रहे | उनकी कविताएँ व कहानियाँ विभिन्न विभागीय पत्रिकाओं में स्थान पाती रहीं । 'तीन पैरोंवाला' काव्य-संग्रह उनकी पहली पुस्तक है। एक कहानी-संग्रह भी शीघ्र प्रकाश्य