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प्रस्तुत कविता-संग्रह में वर्तमान में चर्चित बहुत सारे विषयों पर कविताएँ हैं, जो स्थानीय चुनाव से लेकर तीन तलाक तक के ताजा एवं बहुचर्चित विषयों को अपना कलेवर बनाती हैं। इस संग्रह में स्थानीय निकाय चुनाव की चटपटी खबरों से लेकर तीन तलाक की शिकार हुई महिलाओं की आवाजों की ध्वनि, भावना व संवेदना तक की झलक मिलेगी।
आशा है, पाठकों को एक बार फिर चर्चित विषयों पर एक नया आयाम, नए विचार, नए मत के संग आ रही इन कविताओं की बारात पसंद आएगी। कविताओं की इस बारात में पाठकों के लिए खुशियाँ तो भरपूर हैं ही, साथ-साथ रसास्वादन भी भरपूर है।
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कविता क्रम
1. आत्म विश्वास — Pgs. 15
2. दौर — Pgs. 17
3. अनेकता में एकता — Pgs. 19
4. धैर्य — Pgs. 21
5. विषपायी — Pgs. 22
6. मानसिकता — Pgs. 24
7. दहेज — Pgs. 26
8. शर्त — Pgs. 28
9. औरत... 30
10. चलते रहो... 32
11. ‘स्वच्छता से स्वर्ग’ — Pgs. 34
12. प्रेरणा — Pgs. 37
13. सुबह — Pgs. 38
14. छोड़ दे — Pgs. 39
15. देखने लायक है — Pgs. 40
16. एक नई तिरंगा यात्रा — Pgs. 41
17. मेरा भारत महान — Pgs. 42
18. तिरंगा... 44
19. नया संकल्प — Pgs. 45
20. आइना-ए-दिल — Pgs. 48
21. शहर का चाँद — Pgs. 50
22. स्थानीय चुनाव — Pgs. 53
23. ‘खुशी’ — Pgs. 55
24. महाप्रभु श्रीराम का
महा प्रायश्चित — Pgs. 57
25. झंडा ऊँचा रहे हमारा — Pgs. 60
26. आजकल — Pgs. 62
27. मलाला को सलाम — Pgs. 64
28. बेचारे मछुवारे! — Pgs. 65
29. प्रश्न — Pgs. 67
30. सहारा — Pgs. 68
31. आवाज — Pgs. 69
32. प्रकृति की कविताएँ — Pgs. 71
33. दूर से — Pgs. 73
34. जवाब — Pgs. 74
35. तीन तलाक-1 — Pgs. 75
36. तीन तलाक-2 — Pgs. 77
37. तीन तलाक-3 — Pgs. 79
38. ‘भारतीयता’ — Pgs. 81
39. रचना — Pgs. 83
40. भ्रष्टाचार — Pgs. 84
41. शुक्रिया — Pgs. 85
42. मधुशाला — Pgs. 86
43. महँगाई — Pgs. 87
44. नाज़ुक मिज़ाज — Pgs. 89
45. तुम — Pgs. 90
46. मुद्दतों बाद — Pgs. 91
47. अगर — Pgs. 92
48. क्या करूँ...? — Pgs. 93
49. जिन्हें... 94
50. मंजिल — Pgs. 95
51. फिर भी... 96
52. सवाल-जवाब — Pgs. 97
53. चुम्मा — Pgs. 98
54. न जाने — Pgs. 99
55. कैसे........? — Pgs. 100
56. आपके संग — Pgs. 102
57. हमशायर — Pgs. 103
58. नजरों में — Pgs. 105
59. हे भगवान — Pgs. 107
60. होली मिलन — Pgs. 108
61. होना चाहिए — Pgs. 110
62. परिवर्तन — Pgs. 112
63. इक नजर में — Pgs. 113
64. तुम बिन — Pgs. 114
65. बहुत दिन — Pgs. 115
66. तनाव — Pgs. 117
67. मौसम — Pgs. 118
68. करिश्मा — Pgs. 119
69. हौसला अभी भी है — Pgs. 120
70. जब... 121
71. हैरतज़दा — Pgs. 122
72. हिंदुस्तान की लड़की — Pgs. 123
73. शख्सियत — Pgs. 125
74. लिपि — Pgs. 126
विविध विषयों में अपार रुचि रखनेवाले डॉ. पी.वी. जगनमोहन ने अर्थशास्त्र तथा तमिल साहित्य में एम.ए., पी-एच.डी., डी.फिल., डी-लिट्. की डिग्रियाँ प्राप्त कीं।
सन् 1987 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में सफल हुए और उत्तर प्रदेश कैडर मिला। प्रखर चिंतक-विचारक तथा शिक्षाविद् डॉ. जगनमोहन उत्तर प्रदेश के पाँच जिलों में जिलाधीश; उत्तर प्रदेश शासन में उच्च शिक्षा के विशेष सचिव तथा झाँसी विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं।
तमिल, हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में उनकी कहानियाँ, कविताएँ तथा उपन्यास प्रकाशित होकर चर्चित हो चुके हैं और उनके लेखों का अपूर्व स्वागत हुआ है। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान सम्मान (1998), भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय सम्मान (1999), बाबू गुलाब राय सम्मान (2009), इफको राज भाषा सम्मान (2010), निराला सम्मान (2011), भाषा सेतु सम्मान (2012) तथा सुमित्रानंदन पंत सम्मान (2017) द्वारा सम्मानित किया गया। अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक पद पर कार्यरत रहने के बाद वर्तमान में बरेली मंडल के आयुक्त हैं और विकास-कार्यों को गति देने के लिए संकल्पबद्ध हैं।