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अरुणाजी की रचनाएँ हमारे आस- पास जीते -विचरते पात्रों को ऐसे सहज रूप में कथासूत्र में पिरोती हैं कि पाठक को मात्र पढ़ने का नहीं, अपने जाने -पहचाने समाज को नितांत नए अनुभव एवं नई दृष्टि के साथ पुन : जानने - समझने का सुख भी प्राप्त होता है । ये कहानियाँ नसि मन की बूझी- अनबूझी पहेलियों पर प्रकाश डालने में विशेष रूप से सक्षम हैं । नारी-जीवन की व्यथा-कथा तथा आशाओं- अपेक्षाओं का चित्रण अरुणाजी के लेखन की विशेषता है । नारी मन की गहन संवेदनाओं को, बिना नारी-मुक्ति का मुखौटा लगाए वे बड़े ही सहज भाव से चित्रित करती हैं ।
ये सभी कहानियों समय-समय पर धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका आदि में प्रकाशित होकर चर्चित हुई थीं । इस संग्रह में, जीवन के सांध्य काल में लिखी उनकी कहानी ' तीसरी धरती ' भी है, जिसे ' वागर्थ ' में पढ़ते ही स्व. कमलेश्वर ने अपने द्वारा संपादित तथा साहित्य अकादेमी से प्रकाशनाधीन, हिंदी लेखिकाओं की कालजयी कहानियों के संग्रह के लिए चुना था । डॉ. अरुणा सीतेश के द्वितीय प्रयाण- दिवस पर विनम्र श्रद्धांजली- स्वरूप प्रस्तुत है यह कथा संग्रह तीसरी धरती ।
जन्म : 31 अक्तूबर, 1945 ।
शिक्षा : अंग्रेजी साहित्य में प्रयाग वि. वि. से एम. ए. तथा पी -एच. डी. ।
दिल्ली विश्वविद्यालय के इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य का अध्यापन ( 1964 - 67) तथा प्राचार्य, ईंद्रप्रस्थ महाविद्यालय ( 1997 - 2007) । कृतित्व : ' वही सपने ', ' कोई एक अधूरापन ', ' लक्ष्मण रेखा ', ' चाँद भी अकेला है ', ' छलाँग ', ' चार लंबी कहानियाँ ', ' अमरीकी लेखिकाएँ : आधुनिक कहानियाँ ', ' भारतीय नारी : न्याय के द्वार पर दस्तक ' तथा ' ऑस्ट्रेलिया की लेखिकाएँ : आधुनिक कहानियों ' कहानी संग्रह तथा अंग्रेजी में अनूदित कहानियाँ, समीक्षा, मूल्यांकन आदि से संबंधित सात पुस्तकें प्रकाशित ।
फुलब्राइट फेलोशिप ( 1991 - 92), रॉकफॅलर फाउंडेशन स्टडी सेंटर, बिलाजियो ( 1993) तथा यू जी. सी. फॅलोशिप ( 1992 - 93) के अंतर्गत महिला लेखन पर विशेष अध्ययन । अमेरिका त था ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख लेखिकाओं से साक्षात्कार तथा उनकी प्रतिनिधि कहानियों का हिंदी में अनुवाद । सभी प्रमुख पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशन तथा आकाशवाणी से अनेक कहानियों का प्रसारण, कुछ कहानियाँ अंग्रेजी त था पंजाबी में अनुवादित - प्रकाशित, दो कहानियों पर बने वृत्तचित्र दूरदर्शन पर प्रसारित । आकाशवाणी - दूरदर्शन पर अनेक चर्चाओं में सहभागिता । हिंदी से अंग्रेजी तथा अंग्रेजी से हिंदी में महत्त्वपूर्ण अनुवाद, चौबीस वर्ष तक अंग्रेजी की भारतीय साहित्य एवं संस्कृति की त्रैमासिकी ' प्रतिभा इंडिया ' का संपादन ।
स्मृतिशेष : 19 नवंबर, 2007 ।