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हिंदी में फिल्म या टेलीविजन निर्माण तथा इसकी विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देनेवाली, बल्कि इस विषय से संबंधित पठनीय प्रामाणिक पुस्तकों का सर्वथा अभाव है। यह सर्वविदित है कि दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में भारत में बनाई जाती हैं। इसके बावजूद हिंदी टी.वी. चैनलों के कार्यक्रम-निर्माण संबंधी पुस्तकों का अभाव तो है ही, सिनेमा, वीडियो और टी.वी. संबंधी पत्रिकाओं में स्तरीय सामग्री का भी अभाव रहता है। इसी अभाव की पूर्ति के लिए लेखकद्वय श्री अशोक जेलखानी एवं श्री महाराज शाह ने टी.वी. फिल्मों के अपने वर्षों के अनुभव एवं ज्ञान को इस पुस्तक में लेखनीबद्ध किया है। टी.वी. आज महज मनोरंजन एवं आय का साधन मात्र नहीं रह गया है। लेखकद्वय का मानना है कि सिनेमा और टी.वी. कार्यक्रम-निर्माण की तकनीक जब तक देश के आम लोगों तक नहीं पहुँचेगी, उनकी समझ में नहीं आएगी, तब तक सही अभिव्यक्ति के बाधित रहने का खतरा बराबर बना रहेगा। इस बाधा को टी.वी. निर्माण संबंधी विस्तृत एवं सटीक जानकारी के द्वारा दूर करना अति आवश्यक है। टी.वी. कार्यक्रम निर्माण के क्षेत्र में रुचि रखनेवाले छात्र-पाठकों के लिए यह एक जानकारीपरक उत्कृष्ट पुस्तक है। इसमें टी.वी. निर्माण की समस्त प्रक्रिया एवं उपकरणों को चित्रों के माध्यम से समझाया गया है। निश्चय ही यह अपने आप में एक संपूर्ण एवं विविध आयामी पुस्तक है, जो पाठकों का भरपूर ज्ञानवर्द्धन करेगी।
जन्म : 27 अप्रैल, 1953 को श्रीनगर, कश्मीर में।
कृतित्व : पैंतीस वर्ष पूर्व दूरदर्शन श्रीनगर में अपने कैरियर की शुरुआत फ्लोर मैनेजर के पद से की। टेलीविजन प्रोडक्शन में भारत सरकार के टेलीविजन संस्थान से प्रशिक्षित होकर दूरदर्शन के लिए चार सौ से अधिक नाटक, टी.वी. सीरियल, टेलीफिल्में व अन्य तरह के नॉनफिक्शन कार्यक्रमों का निर्माण किया। कश्मीरी रंगमंच के उद्भव और विकास पर कश्मीरी में एक पुस्तक प्रकाशित।
सम्मान-पुरस्कार : जम्मू, जालंधर और चेन्नई दूरदर्शन केंद्र के सुचारु प्रबंधन एवं संचालन के लिए सन् 2002, 2004 का सर्वश्रेष्ठ दूरदर्शन निदेशक। जम्मू-कश्मीर में रंगमंच को नई दिशा दी और नाटकों का सफल मंचन करके जम्मू-कश्मीर कल्चरल अकादमी से अनेक बार पुरस्कृत हुए।
संप्रति : उपमहानिदेशक, दूरदर्शन प्रसार भारती, महानिदेशालय, मंडी हाउस, दिल्ली।