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"“जादूगर का जादू हाथों का कमाल है...इधर ध्यान दीजिए मेहरबान, पलक झपकते ही खेल हो जाएगा और आपके हाथों में बस सवाल रह जाएगा कि आखिर यह हुआ कैसे?” ‘थके पाँव से बारह कोस’ संग्रह की कहानी ‘जादूगर और लाल पान की बेगम’ का यह सवाल नीरज नीर की कथा-दृष्टि और सरोकार को समझने के लिए पर्याप्त है। ‘आखिर ये हुआ कैसे’ जैसे सवालों और संशयों से ही ये कहानियाँ संभव हुई हैं।
""नीरज नीर की कहानियों में अपने समय की कशमकश और भविष्य की आहट साफ सुनी जा सकती है। देशकाल और समाज के यथार्थ के सिरों को पकड़े हुए पठनीयता और रोचकता के उच्चतम मापदंडों पर ये कहानियाँ खरी उतरती हैं। नीरज नीर की कहानियों में जहाँ विषय वैविध्य चकित करता है, वहीं कहन और शिल्प की ताजगी तथा अनूठापन पाठकों को आकर्षित करते हैं।
भूमंडलोत्तर आधुनिक समाज में दरकते मानवीय रिश्ते एवं सामाजिक विद्रूपताओं का सजीव एवं प्रभावशाली चित्रण नीरज नीर की कहानियों में दृष्टिगत होता है। वर्तमान ग्राम्य जीवन एवं ग्रामीण समाज के मनोविज्ञान पर नीरज नीर की सहज पकड़ है, साथ ही विकास की असंतुलित धारा के कारण उभरती विडंबनाओं की थाह लेने का अद्भुत कौशल भी इनकी कहानियों में बखूबी प्रकट हुआ है।
इनकी कहानियों में झारखंड की माटी की सोंधी महक, वहाँ का जन-जीवन और संघर्ष भी प्रमुखता से दिखाई पड़ते हैं। इनकी कहानियों की विशेषता है कि वे सहज हैं एवं उनमें अनावश्यक जटिलता नहीं है।"""
नीरज नीर
शिक्षा : राँची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक।
रचना-संसार : ‘जंगल में पागल हाथी और ढोल’ (काव्य-संकलन, 2017) एवं दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ, व्यंग्य, समीक्षा आदि प्रकाशित।
सम्मान : प्रथम महेंद्र स्वर्ण साहित्य सम्मान, सृजनलोक कविता सम्मान, ब्रजेंद्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान, दो बार प्रतिलिपि लघुकथा सम्मान, दो बार अखिल भारतीय कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता में श्रेष्ठ कहानी के लिए जयपुर में पुरस्कृत।
आकाशवाणी व दूरदर्शन से नियमित कहानियों व कविताओं का प्रसारण।
संप्रति : केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर में अधीक्षक एवं झारखंड में पदस्थापित।
संपर्क : आशीर्वाद, बुद्ध विहार, पो.ऑ. अशोक नगर, राँची-834002 (झारखंड)
इ-मेल : neerajcex@gmail.com
मो. : 8789263238