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कोहरा इतना गहरा था, जैसे बादलों की टोली धरती पर उतर आई हो । ऐसा लग रहा था कि इस डरावनी अँधेरी रात में कम-से-कम मौसम मेरा साथ दे रहा था । सर्दियों की घनी धुंध ने जादूगर बन सबकुछ अपने अचल में समेट लिया था। मुझे भी ।
मैं दबे पाँव हॉस्टल के गेट से बाहर निकल आई। हवा का कण-कण ठंड से भरा हुआ था। पेड़ भी कुछ इस तरह से बर्फीली ओस से लदे थे कि उनके स्पर्श मात्र से कंपकैपी छूट जाए। मैं घुटनों के बल बैठकर गड्ढा खोदने लगी। इससे पहले कि घास में छिपी खून जमा देनेवाली ठंडक मेरी हड्डियों में जम जाती, मैं घुटनों के बल बैठकर तेजी से गड्ढे को और गहरा खोदने लगी। मेरी सुन्न पड़ती उँगलियों ने सिक्के और ओइजा शीट को मिट्टी में गाड़कर ही राहत की साँस ली।
मैंने राक्षसों को दफन कर दिया ।
निधि उपाध्याय एक इंजीनियर हैं, जिन्होंने लोगों को रोजगार देने का व्यवसाय अपनाया। सालों तक निधि ने अपने दिन वरिष्ठ अधिकारियों को उनके पसंदीदा रोजगार उपलब्ध कराने और रातें रोमांचक कृतियाँ पढ़ने में गुजारी हैं। यह सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक कि निधि के पति ने उन्हें पुस्तक लिखने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया।
वे सिंगापुर में अपने अत्यंत प्रेम करनेवाले पति और दो बेहद प्यारे, लेकिन एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत व्यक्तित्व वाले बेटों के साथ रहती हैं। 'दैट नाइट' उनका पहला उपन्यास है।